अशाेक यादव, लखनऊ। पूर्वांचल के समग्र विकास में गन्ना किसानों के योगदान को समझते हुए प्रदेश सरकार ने जहां गोरखपुर के पिपराइच और बस्ती के मुण्डेरवा में नई अत्याधुनिक चीनी मिल लगाई, वहीं सरकार की कोशिशों से प्रदेश में गन्ने की औसत उत्पादकता 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और रिकवरी 11 फीसदी तक हो गई है।
अब इसे और बढ़ाना बड़ी चुनौती है, अब ईशा एग्रो साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड के वैज्ञानिक प्रशान्त नन्दर्गिकर ने कैटालिस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पीएसएपी (पोटेशियम साल्ट आफ एक्टिव फास्फोरस) नामक ऑर्गनिक प्रोडक्ट का आविष्कार कर गन्ना किसानों की आमदनी के साथ गन्ना मिलों की आय बढ़ाने का फार्मूला दिया है।
पूर्वांचल विकास बोर्ड द्वारा दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रशांत नन्दर्गिकर ने कहा कि पोषक तत्व फसल उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मिट्टी में पोषक तत्वों की लगातार कमी होती जा रही है। फास्फोरस और पोटाश मुख्यतः सभी फसलो में इस्तेमाल किए जाते हैं जबकि खेतों में आवश्यक पोषक तत्व फास्फोरस और पोटास की मात्रा का स्तर न्यूनतम है। असल में फास्फोरस और पोटाश केमिकलयुक्त खाद के रूप में किसान इस्तेमाल कर रहे लेकिन 90 फीसदी फॉस्फेट मिट्टी में स्थिर हो जा रहा केवल 10 फीसदी ही पौधों अवशोषित कर रहे। यही हाल पोटास का भी है।
कैटालिस्ट टेक्नोलॉजी के उपयोग से निर्मित सक्रिय फॉस्फोरस एवं पोटेशियम के द्वारा पीएसएपी (पोटेशियम साल्ट आफ एक्टिव फास्फोरस) ऑर्गनिक प्रोडक्ट का आविष्कार किया है।
बिना जहर वाला यह उत्पाद पानी में घुलनशील है जिसे पौधे अपनी पत्तियों द्वारा आसानी से अवशोषित कर लेते है। इसके इस्तेमाल से न केवल फसल की पैदावार और गुणवत्ता में इजाफा होता है। बल्कि खेती की लागत में कमी के साथ उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार के साथ उत्पादकता में 30 फीसदी की गारंटी शुदा बढ़ोत्तरी होती है।