उत्तर पूर्वी दिल्ली में तीन दिनों तक चली हिंसा का असर अब दिखने लगा है। हिंसा के चलते शादियों का रंग भी फिका पड़ गया है। लड़की वालों को जहां शादी की तैयारियों को लेकर दिक्कत हो रही है। वहीं लड़के वालों की तरफ से भी बाराती भी आने को तैयार नहीं है। उधर, हजारों लोगों ने अपना घर छोड़ना शुरू कर दिया है। चांदबाग, मूंगा नगर, करावल नगर, घोंडा और गोकलुपर से बड़ी संख्या में लोग अपना घर छोड़कर रिश्तेदारों के यहां पनाह ले रहे हैं। दूसरे राज्यों से रोजगार की तलाश में आए परिवार जो यहां किराये पर रह रहे थे, उन्होंने ने भी कमरे खाली करने शुरू कर दिए हैं।
मौजपुर में रहने वाले दीपक की बहन का बुधवार को शादी थी। शादी का आयोजन कृष्णा मंदिर धर्मशाला में आयोजित की गई थी। बारात नागलोई से आने वाली थी। दीपक ने बताया कि पहले दूल्हे वालों ने पहले 500 बाराती लाने के लिए कहां था, लेकिन हिंसा के चलते बाराती मौजपुर आने को तैयार नहीं थे। ऐसे में लड़के वालों की ओर से उन्हें फोन कर सूचना दी गई कि अब 50 से भी कम बाराती ही आ सकेंगे।
चांद नगर निवासी आरिफ ने बताया कि दो दिन से अचानक कभी भी भीड़ इकट्ठी हो जाती है। नारेबाजी शुरू होती है और गोलियों के चलने की आवाजें आती हैं। आरिफ ने बताया कि बच्चों के दिल में भयंकर डर बैठ गया है। बच्चे बार-बार पूछते हैं कि आखिर ये क्या हो रहा है और कौन कर रहा है। आरिफ ने बताया कि आज सुबह बच्चों को लखनऊ में रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है। जब तक माहौल शांत नहीं हो जाता, तब तक मैं भी इधर-उधर ही रहूंगा, इस इलाके में नहीं आउंगा।
घोंडा गांव निवासी दीपक चौधरी ने बताया कि जो लोग किराये पर रह रहे थे, उन्होंने हिंसा के कारण कमरे खाली कर दिए हैं। फैक्टरियों में काम करने वाले मजदूर अपने घर जा रहे हैं। दीपक बताते हैं कि हिंसा के कारण पूरा व्यापार ठप हो गया है।
घोंडा चौक पर बड़ी संख्या में लोग अपना सामान बैगों में भरकर खड़े हैं। मोहम्मद हुसैन का कहना है कि कभी उम्मीद नहीं की थी कि जहां हिंदू-मुस्लिम आपस में मिलकर रहते थे, वह जगह छोड़नी पड़ेगी। हुसैन का कहना है कि पूरे परिवार को दिल्ली लाकर बसने की सोच रहा था, लेकिन अब खुद दिल्ली छोड़कर जाना पड़ रहा है। बिजनौर में परिवार वालों का डर की वजह से बुरा हाल है।
मौजपुर की कई दुकानों में आग लगा दी गई है, जिसकी वजह से दूध और रोजमर्रा के सामानों की भारी किल्लत हो गई है। खौफ की वजह से दुकानदार अपनी दुकान नहीं खोलना चाह रहे।