नई दिल्ली: अयोध्या मामले की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ओपन कोर्ट हैं लेकिन बाहरी लोगों के लिए नहीं बल्कि वादियों के लिए. जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने कहा कि अयोध्या मामला संवेदनशील मामला है, इसकी लाइव स्ट्रीमिंग कैसे हो सकती है. याचिकाकर्ता गोविंदाचार्य के वकील विकास सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ही लाइव स्ट्रीमिंग का आदेश है. अगर लाइव स्ट्रीमिंग नहीं है तो कम से कम ऑडियो रिकॉर्डिंग और तर्क की ट्रांसक्रिप्शन शुरू कर देना चाहिए. यह गंभीर सामाजिक और संवैधानिक महत्व का मामला है. रामजन्मभूमि मामले और सुप्रीम कोर्ट के दूसरे मामलों की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग वाली याचिका जस्टिस नरीमन की बेंच ने चीफ जस्टिस के पास सुनवाई के लिये भेजा.
11 सितंबर को सुनवाई करने के लिए तारीख दी. अयोध्या मामले की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी आई. बता दें कि पिछले महीने बीजेपी के पूर्व नेता और आरएसएस विचारक केएन गोविंदाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिका में उन्होंने मांग की थी कि अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की जाए. गोविंदाचार्य की ओर से कहा गया था कि कम से कम सुनवाई को लिखा जाए और रिकार्ड किया जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई ने मांग को ठुकरा दी थी. निर्मोही अखाड़ा की ओर से सुशील जैन ने बहस किया. CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठी में जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.