जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में आवारा मवेशियों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि स्थानीय प्रशासन को अब धारा 144 लगानी पड़ी है. जी हां, जबलपुर कलेक्टर भरत यादव ने गुरुवार देर शाम आदेश जारी करते हुए कहा है कि मवेशी मालिक अब सार्वजनिक जगहों और सड़कों पर अपने मवेशियों को खुला नहीं छोड़ सकेंगे. मवेशियों को खुला छोड़ने पर प्रतिबंध लगाते हुए कलेक्टर भरत यादव ने निर्देश जारी किए हैं कि ऐसे मवेशी मालिकों पर धारा 144 के तहत कार्रवाई की जाएगी. इस आदेश के साथ ही अब पशु मालिकों द्वारा मवेशियों को खुला छोड़ना प्रतिबंधित हो गया है.
जबलपुर कलेक्टर भरत यादव ने नगर पालिक निगम कमिश्नर से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर जिले में लोक संपत्ति एवं मानव जीवन की सुरक्षा को देखते हुए यह फैसला किया है. उन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144(1) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं. प्रतिबंध का आदेश जारी करते हुए कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति, संस्था अथवा पशु मालिक अपने पशुओं को खुले तौर पर सड़कों पर न छोड़े और न ही सड़कों पर आने दें. आदेश का उल्लंघन भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अंतर्गत दंडनीय होगा. यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा. दरअसल, बारिश के दिनों में पूरे मध्य प्रदेश में मवेशी गीली धरती को छोड़ सड़कों पर आ बैठते हैं.
इनसे न केवल मवेशियों की जान को खतरा होता है बल्कि दुर्घटना होने की आशंकाएं भी कई गुना बढ़ जाती हैं. बारिश के दौरान मध्य प्रदेश का कोई भी स्टेट या नेशनल हाइवे ऐसा नहीं होता जहां मवेशियों के झुंड के झुंड आकर ना बैठते हों. सड़कों पर मवेशियों का झुंड दुर्घटनाओं को निमंत्रण देता है और कई बार इनकी वजह से गंभीर दुर्घटनाएं होती हैं जिसमें लोगों की जान तक चली जाती है. हालांकि विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस ने वादा किया था कि वह मध्य प्रदेश में गोशालाओं का ऐसा जाल बिछाएगी कि आवारा मवेशी सड़कों पर नहीं आएंगे. लेकिन सत्ता मिलने के 9 महीने बीत जाने के बावजूद कमलनाथ सरकार मवेशियों के आतंक को रोक पाने में असफल रही है. यही वजह है कि मध्य प्रदेश के ज्यादातर हाईवे और सड़कों पर आवारा मवेशियों का कब्जा पहले की तरह बरकरार है.