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पंचतत्व में विलीन हुए अरुण जेटली, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

नई दिल्ली : पूर्व वित्त मंत्री दिवंगत अरुण जेटली का रविवार को यमुना के किनारे निगम बोध घाट पर पूरे राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। अरुण जेटली को अंतिम विदाई देेने के लिए पक्ष और विपक्ष के कई नेता निगम घाट पर मौजूद रहे। गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और लोकसभा स्पीकर ने घाट पर श्रद्धांजलि अर्पित करके अपने नेता को विदाई दी। इससे पहले अरुण जेटली के पार्थिव शरीर को भाजपा मुख्यालय रखा गया ताकि समर्थक और प्रशंसक अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें। 66 वर्षीय जेटली का शनिवार को एम्स में निधन हो गया था जहां 9 अगस्त को उन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। भाजपा मुख्यालय के बाहर पार्टी कार्यकर्ता और शोकाकुल लोग अंतिम दर्शनों के लिए कतार में खड़े हैं और ‘जब तक सूरज चांद रहेगा जेटली तेरा नाम रहेगा तथा ‘जेटली जी अमर रहें जैसे नारे लगा रहे हैं।

शनिवार को जेटली का पार्थिव शरीर उनके आवास पर रखा गया था जहां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और विभिन्न दलों के नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। शाह ने शनिवार को कहा कि जेटली भ्रष्टाचार के खिलाफ एक योद्धा थे और जनता के लिए जनधन योजना लाने, नोटबंदी एवं जीएसटी के सफल क्रियान्वयन का श्रेय उन्हें जाता है।जेटली के निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर है। बीते साल उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था लेकिन लगातार उनकी तबीयत में सुधार नहीं हो रहा था। डॉक्टर ने बताया कि जेटली की तबीयत अचानक रात को बिगड़ गई थी। देर रात उनके पेट में संक्रमण फैल गया था। काफी मशक्कत के बाद भी डॉक्टर उनकी रिकवरी करने में नाकामयाब रहे। सुबह कई टेस्ट करने और हैवी डोज देने के बावजूद भी उनका शरीर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था। बीते दिनों उनसे मिलने भाजपा के वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल और भाजपा सांसद मेनका गांधी ने सोमवार को अस्पताल जाकर जेटली का हालचाल जाना था।

भाजपा के ‘थिंक टैंक के रूप में मशहूर अरुण जेटली ने दिल्ली विश्विद्यालय के छात्र आंदोलन से अपनी राजनीतिक पहचान बनाई और करीब चार दशक तक भारतीय राजनीति में छाये रहे। इसके अलावा उन्होंने वित्त मंत्री के तौर पर देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा प्रदान की। अठाईस दिसंबर 1952 को नयी दिल्ली में जन्में जेटली न केवल एक चर्चित वकील रहे बल्कि वह संसद में सरकार के ‘संकट मोचकश् वक्ता के रूप में भी जाने जाते थे। वर्ष 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होने के बाद उन्हें आपातकाल के दौरान जेल में भी रहना पड़ा और इसके बाद धीरे-धीरे वह राजनीतिक की सीढिघ्या चढ़ते हुए शीर्ष पर पहुंच गये। उन्होंने केंद्र सरकार के कई प्रमुख मंत्रालयों का प्रभार संभाला और वर्ष 2014 से 2019 तक भारत के वित्त एवं कॉर्पोरेट मामालों के मंत्री रहे।

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