नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने अपनी तैयारियों को धार देने की शुरुआत कर दी है. 21 जुलाई को तृणमूल कांग्रेस का वार्षिक समारोह होने वाला है जिसमें पार्टी शक्ति प्रदर्शन करेगी और बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बिगुल फूंकेगी. इस दिन को शहीदी दिवस के तौर पर भी मनाते हैं. बीते कुछ महीनों में बीजेपी (BJP) ने पश्चिम बंगाल में अपनी स्थिति को मजबूत किया है. 2021 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर को जिम्मेदारी सौंपी है.
इससे पहले 2018 में शहीदी दिवस पर ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनावों के लिए लक्ष्य बनाए थे. टीएमसी नेता सुब्राता बख्शी ने 21 जुलाई को होने वाली रैली पर कहा, ‘किसी चैलेंज का सवाल ही नहीं है, इस साल होने वाली रैली बीते 26 सालों में हुई रैलियों में सबसे बड़ी होगी.’ बंगाल में 294 विधानसभा सीटें हैं. 2014 में टीएमसी ने 211 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं प्रशांत किशोर टीएमसी के नेताओं से लगातार मिल रहे हैं. हालांकि उनका विश्वास है कि विधानसभा चुनावों से पहले उनके पास काफी समय है. प्रशांत किशोर की नियुक्ति पर बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार का बयान सामने आया है.
उन्होंने कहा, ‘प्रशांत किशोर की नियुक्ति ममता बनर्जी की कमजोरी और अनिश्चितता का प्रतीक है. वह खतरा महसूस कर रही हैं. वह सोचती हैं कि उनके लिए आगामी विधानसभा चुनाव जीतना संभव नहीं है. लोकसभा चुनावों के नतीजों ने उन्हें झटका दिया है कि वह दोबारा चुनाव जीतकर वापस आ पाएंगी या नहीं.’ कुछ लोगों का मानना है कि विधानसभा चुनावों में गंभीर खतरे से निपटने के लिए ममता बनर्जी 2021 से पहले चुनाव कर सकती हैं. इससे बीजेपी को ज्यादा समय नहीं मिल पाएगा. इसलिए, सभी की निगाहें रविवार को भेजे जाने वाले संकेतों पर हैं. ये तृणमूल कांग्रेस के लिए परीक्षण का समय है कि क्या पार्टी बहुत देर होने से पहले खुद को फिर से मजबूत कर सकती है?