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ब्लड कैंसर की तरफ इशारा करते हैं शरीर में आए ये बदलाव, ना करें इग्नोर

ल्यूकेमिया एक तरह का ब्लड कैंसर होता है, जिसमें वाइट ब्लड सेल्स यानी सफेद रक्त कोशिकाएं प्रभावित होती हैं। अगर सही समय पर ल्यूकेमिया का इलाज ना किया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। हर साल लगभग 10 लाख लोग ल्यूकेमिया के शिकार बनते हैं, जिसमें अधिकतर संख्या बच्चों की है। भारत में ल्यूकेमिया के जितने मरीज आते हैं उनमें से लगभग 5ः मामले 15 साल से कम उम्र के बच्चों के होते हैं।
क्या है ल्यूकेमिया या ब्लड कैंसर?
ल्यूकेमिया एक प्रकार का ब्लड कैंसर है। इसमें शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या असामान्य रूप से बढ़ जाती है और इनका आकार भी बदलने लगता है जिस वजह से शरीर में स्वस्थ्य रक्त कोशिकाओं के विकास रूक जाता है। इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है मगर तभी जब इस रोग के शुरुआत में ही इसका पता चल जाए।
दो तरह का होता है ल्यूकेमिया
आमतौर पर ल्यूकेमिया दो प्रकार का होता है, लिंफोसाईटिक और माइलोसाईटिक ल्यूकेमिया। लिम्फोसाइट्स यानी लिंफॉईड कोशिकाओं के शरीर में अधिक विकसित या फिर इनकी असामान्य उत्पत्ति के कारण होता है। जबकि माइलोसाईटिक यानी मोनोसाईट्स सेल्स की मात्रा के बढ़ने से होता है। जब शरीर में बहुत अधिक मोनोसाईट्स उत्पन्न हो जाती है या फिर इनकी असीमित वृद्घि होने लगती है तो माइलोसाईटिक ल्यूकेमिया विकसित होने लगता है।
ल्यूकेमिया के लक्षण
त्वचा का बदला रंग
ल्यूकेमिया के चलते त्वचा का रंग पीला पड़ने लगता है। अक्सर लोग इसे मामूली समझ कर इग्नोर कर देते हैं लेकिन अगर आपको संकेत दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।
हमेशा थकान रहना
काम करने के बाद थकान होेना आम बात है लेकिन अगर बिना काम किए थकान महसूस हो तो इसे अनदेखा ना करें क्योंकि यह इस बीमारी के लक्षण हो सकते हैं।
लगातार बुखार रहना
इस बीमारी के कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाती है, जिसके कारण जल्दी-जल्दी फ्लू, बुखार जुकाम होने लगता है इसलिए ऐसे लक्षण दिखाएं दे तो तुरंत डॉक्टरी सलाह लें।
जल्दी-जल्दी सांस लेना
आमतौर पर तेज दौड़ने या भारी काम करने से सांसे तेज चलने लगती है लेकिन बिना किसी वजह से सांस जल्दी-जल्दी लेनी पड़े तो यह ल्यूकेमिया की बामीर की तरफ इशारा करती हैं। ल्यूकेमिया में सांस लेने की प्रक्रिया बढ़ जाती है और सांसें नॉर्मल से छोटी हो जाती हैं।
बिना किसी इंजरी के भी चोट लग जाना
अगर आपको बिना किसी फिजिकल इंजरी के भी चोट लग जाती है या शरीर के किसी भी हिस्से पर कभी भी काले गहरे या नीले रंग के निशान पड़ जाते हैं, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है। इसके अलावा अगर घाव भरने में अधिक समय ले रहा है तो यह ल्यूकेमिया का लक्षण हो सकता है।
सिरदर्द
अगर सिर में लगातार दर्द हो तो यह ल्यूकेमिया की तरफ इशारा हो सकता है। इसके अलावा यह सिर में हो रही ब्लीडिंग की ओर भी इशारा करता है।
घ्रात में अचानक ही पसीना आना
अगर रात को सोते वक्त आपको अचानक ही पसीना आने लगे तो अपने डॉक्टर से बात करें। इस तरह अचानक ही पसीना आना सामान्य नहीं है। आमतौर पर ऐसा कुछ ऐसे इंफेक्शन की वजह से होता है जिनका सीधा संबंध ल्यूकेमिया से होता है।

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