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गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी पढ़ाने का प्रस्ताव पर विवाद, MNS के नेता ने दिया इस मसले पर बयान

नई दिल्ली: गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी पढ़ाने का प्रस्ताव देने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे पर विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है. तमिलनाडु राज्य द्वारा विरोध जताए जाने के बाद अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता इस मसले पर बयान दिया है. उनका कहना है कि हिंदी कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है. एमएनएस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एमएनएस नेता अनिल शिदोरे का बयान ट्वीट किया गया है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता अनिल शिदोरे ने कहा, “हिंदी एक राष्ट्रीय भाषा नहीं है, इसे हमारे माथे पर मत थोपो.” यह ट्वीट मराठी भाषा में किया गया. रविवार को केंद्र सरकार ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि किसी भी राज्य पर हिंदी थोपी नहीं जाएगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मामले में अपने ट्विटर पर संदेश प्रसारित किए और यह भरोसा दिलाया कि इस ड्राफ्ट को अमल में लाने से पहले इसकी समीक्षा की जाएगी. मोदी सरकार के ये दोनों ही मंत्री तमिलनाडु से हैं. गौरतलब है कि तमिलनाडु इस मामले में सबसे ज्यादा विरोध दर्ज करवा रहा है. इसलिए मोदी सरकार के मंत्रियों ने यह ट्वीट तमिल में किए. उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने भी लोगों से अपील की थी कि वह नयी शिक्षा नीति के मसौदे का अध्ययन, विश्लेषण और बहस करें लेकिन जल्दबाजी में किसी नतीजे पर ना पहुंचें. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और डीएमके नेता एमके स्टालिन के बयानों के बाद अब कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी और कांग्रेस नेता शशि थरूर हिंदी को दक्षिण भारत पर थोपने के खिलाफ चेतावनी जारी कर रहे हैं.

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