श्रीनगर: आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्वाय बुरहान वानी के गांव से किसी ने भी सोमवार को मतदान नहीं किया, जबकि पुलवामा में आतंकवादी हमला करने वाले आत्मघाती हमलावर के गांव में महज 15 लोगों ने वोट डाला. पुलवामा हमले के चलते भारत और पाकिस्तान में करीब करीब जंग की स्थिति पैदा हो गयी थी. अधिकारियों के अनुसार, घाटी में आतंकवाद का दबदबा वाले क्षेत्र दक्षिण कश्मीर में अन्य शीर्ष आतंकवादी कमांडरों के गांवों में भी शून्य मतदान हुआ.
त्राल क्षेत्र में वानी के शरीफाबाद गांव ने मतदान से दूर रहने का फैसला किया और गांव से किसी ने भी वोट नहीं डाला. गुंडीबाग में महज 15 वोट पड़े. यह गांव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तब सुर्खियों में आ गया था जब वहां के रहने वाले आदिल डार जैश ए मोहम्मद का आत्मघाती बम हमलावर बना था और उसने पुलवामा में विस्फोटकों से लदी एक कार सीआरपीएफ के काफिल के वाहन से टकरा दी थी. उस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे. 14 फरवरी की इस घटना के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत बढ़ गया था.
अधिकारियों के अनुसार, आतंकवादी संगठन अंसार-गजावत-उल हिंद के तथाकथित प्रमुख जाकिर मुसा के गांव नूराबाद, हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नाइकू के गांव बेघपुरा, और 14 फरवरी के आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड मुदासिर खान के गांव शेखपुरा में भी शून्य मतदान हुआ. वर्ष 2016 में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में वानी के मारे जाने के बाद घाटी में लंबे समय तक अशांति रही थी जिसमें 100 लोगों की जान गयी थी. अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र में शोपियां और पुलवामा जिलों में चुनाव के दिन सड़के सूनी रहीं और जगह जगह सुरक्षाबलों की मौजूदगी नजर आयी. इस सीट पर मात्र तीन फीसद मतदान हुआ. 25 फीसद से अधिक मतदान केंद्रों पर कोई मतदान दर्ज नहीं हुआ.