ग्रेटर नोएडा। आए दिन उप्र, पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्य से ये समाचार आते हैं कि अधिक उपज होने की वजह से किसानों को उनकी उपज की सही कीमत नहीं मिली। उन्होंने विरोध करते हुए अपनी उपज को सड़क पर फेंक दिया है। आने वाले दिनों में ऐसी स्थिति नहीं रहेगी। खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ग्रेटर नोएडा एक्सपो सेंटर में ट्रेड प्रमोशन काउंसिल आफॅ इंडिया, टीपीसीआई, की ओर से आयोजित इंडस फूड के उदघाटन के अवसर पर यह जानकारी देते हुए कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए उनके मंत्रालय सरकार की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं। खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल कहा कि जहां भी अधिक पैदावर होगी वहां पर हम किसानों के घर से उपज उठाएंगे। उन्हें ऐसे राज्य में भेजेंगे जहां पर लोगों के बीच उसकी मांग है।
वहीं बची हुई उपज को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को दिया जाएगा। इससे न केवल किसानों की समस्या हल होगी बल्कि उनकी आय दोगुनी करने में भी मदद मिलेगी। इसके लिए नेफेड सहित कई अन्य संस्थानों के साथ करार किये गए हैं। टीपीसीआई के चेयरमेन मोहित सिंघला ने इस अवसर पर कहा कि हम किसानों और उत्पादकों को इंडस फूड के माध्यम से वैश्विक खरीदारों का करार करा रहे है। इससे किसानों को आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के साथ ही वाणिज्य मंत्रालय इसमें सहयोग कर रहे हैं। खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इंडस फूडकृ2 के उदघाटन पर कहा कि भारत की 60 प्रतिशत आबादी किसानीकृखेतीबाड़ी से जुड़ी है। लेकिन हम अपने कुल उत्पादन का केवल 10 प्रतिशत ही प्रसंस्करण के लिए उपयोग में ला पाते हैं। जबकि अन्य बिना उपयोग किये ही खराब हो जाता है। वहीं दूसरी ओर हमारे खाद्य बाजार में 70 प्रतिशत उत्पाद खाद्य से जुड़ा है लेकिन किसानों को उसका वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा है। इस समस्या के हल और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए दो अलग योजनाएं शुरू की है।
इसमें से एक में हम उन राज्यों से खरीदारी करेंगे जहां पर किसी उत्पाद की बंपर उपज हुई है। लेकिन उसकी कीमत किसानों को नहीं मिल रही है। वहां से हम किसानों से सीधे खरीद करेंगे। नेफेल सहित अन्य संस्थाएं यह खरीद करेंगे। इसी तरह से हम किसानों को मिनी कोल्ड चेन बनाने या फिर उन्हें अपना उत्पाद अपने ब्रांड से बाजार में लाने के लिए 1 से लेकर 10 लाख रूपये तक का ऋण देंगे। इसी तरह से हम मिनी फूड पार्क को भी ऐसे राज्यों में स्थापित कर रहे हैं जहां पर किसानों को इसकी जरूरत है। इसके लिए हम 50 करोड़ रूपये तक का ऋण भी दे रहे हैं। इससे किसानों को उनके घर के नजदीक ही अपनी उपज बेचने में मदद मिलेगी। मोदी सरकार के समय में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में हुए निवेश को बताते हुए उन्होंने कहा कि यूपीए शासनकाल में इस क्षेत्र में दस साल में 50 मिलियन से भी कम निवेश हुआ था। जबकि हमारे साढ़े चार साल के समयकाल में यह राशि लगभग दोगुनी एक बिलियन तक हो गई है। इसी तरह से हमनें इस क्षेत्र में 14 बिलियन डॉलर के निवेश का करार किया था और इस समय तक 30 कंपनियों ने 11 बिलियन डॉलर तक के निवेश को लेकर जमीन पर काम शुरू कर दिया है।
वाणिज्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव और इंडस फूड आयोजन समिति के चेयरमेन संतोष सारंगी ने कहा कि इंडस फूड को वैश्विक खाद्य मेला के तौर पर मान्यता मिल रही है। पिछले साल इसके पहले संस्करण में जहां 400 वैश्विक कंपनियां आई थी तो इस बार यह संख्या 800 से अधिक पहुंच गई है। इस अवसर पर ट्रेड प्रमोशन काउंसिल आफॅ इंडिया, टीपीसीआई, के चेयरमेन मोहित सिंघला ने कहा कि इंडस फूड,2 का मुख्य ध्येय,लक्ष्य छोटे,मंझोले उद्योग के लिए निर्यात,एक्सपोर्ट बढ़ाने का अवसर उपलब्ध कराना है। इसके लिए खरीदार या बायर को उनके द्वार पर लाया गया है। जैविक, वैल्यू एडेड और आर्गेनिक उत्पाद बनाने वाले भारतीय उद्योग के लिए इस मेला के माध्यम से कारोबार का अवसर बढ़ेगा। किसानों की आय दोगुनी करने मे भी यह सहायक होगा क्योंकि जब कारोबार बढ़ेगा तो किसानों की आय दोगुनी होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब इंडस फूड के माध्यम से स्वयं सरकार दुनिया के बेहतरीन उत्पाद खरीदारों को चिन्हित कर रही है और गुणवत्ता युक्त उत्पाद बनाने वाले भारतीय कंपनियोंकृउत्पादकों के साथ उनकी वार्ता का अवसर उपलब्ध करा रही है, इससे सीधे किसानों को लाभ होगा।
इतना ही नहीं, हमारे कृषि निर्यात नीति या एग्री एक्सपोर्ट पॉलिसी में जिस 60 बिलियन डॉलर के बिजनेस निर्यातकृएक्सपोर्ट का लक्ष्य तय किया गया था, वह अब पहुंच के अंदर होगा। मोहित सिंघला ने कहा कि इंडस फूड 2019 वैल्यू एडेड और आर्गेनिक उत्पाद पर केंद्रीत मेला होगा। भारत को आर्गेनिक उत्पाद वाले देशों की सूची में प्रथम स्थान पर रखा गया है क्योंकि यहां पर कुल आर्गेनिक उत्पादकों की संख्या सबसे अधिक है। यहां पर करीब 11 लाख से अधिक किसान आर्गेनिक या जैविक उत्पाद ही उत्पन्न कर रहे हैं। ऐसे समय में जब सरकार जैविक उत्पादन को सभी निर्यात बंधनों से मुक्त कर रही है, इस क्षेत्र में तीव्र गति से कारोबार का विकास होगा। यह 60 बिलियन डॉलर के कारोबार के लक्ष्य को 2022 तक हासिल कर लेगा। एग्री एक्सपोर्ट पॉलिसी 2018 में इसका लक्ष्य तय किया गया था। रोचक तथ्य यह है कि वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने इंडस फूडकृ1 के उदघाटन में ही एग्री एक्सपोर्ट पॉलिसी को शीघ्रता से लाने का ऐलान करते हुए कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि इंडस फूड मेला आने वाली पॉलिसी के लक्ष्य को हासिल करने में अपनी भूमिका निभाएगा।
इंडिया एक्सपो मार्ट, ग्रेटर नोएडा में 14, 15 जनवरी को आयोजित हो रहे इंडस फूडकृ2 में सामने आते या इमर्जिंग ब्रांड, वैल्यू एडेड और आर्गेनिक उत्पाद से जुड़ा है। यह भारत की एक नई पहचान भी स्थापित करेगा। भारत अपनी पाककृकला विविधता के साथ ही योगा, आयुर्वेद के लिए दुनिया में पहचाना जाता है। उस कड़ी में अब इमर्जिंग ब्रांड, वैल्यू एडेड और आर्गेनिक उत्पाद भी इसकी एक नई पहचान होंगे। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग की ओर से समर्थित इंडस फूड वैश्विक स्तर पर फूडकृवेबरेज इंडस्ट्री का एक प्रतिनिधि मेला बन गया है। इसके माध्यम से इस क्षेत्र के भारतीय और वैश्विक कारोबारी एक मंच पर एक छत के नीचे न केवल मिल रहे हैं बल्कि इनके बीच कई करार भी हो रहे हैं। यहां पर दुनिया भर के बड़े सुपरबाजार और वैश्विक वलर्ड सुपरमार्केट भारतीय उत्पाद को परख रहे हैं। उनके उत्पादकों से मिल रहे हैं और करार कर रहे हैं।
जहां इंडस फूडकृ1 के दौरान ट्रेड प्रमोशन काउंसिल आफॅ इंडिया का ध्यान वैश्विक खरीदारों और भारतीय कॉमोडिटी निर्यातकों पर केंद्रीत था तो इस बार दुनिया के 800 से अधिक अंतरराष्ट्रीय थोक या होलसेल खरीदारों को मेला में लाया गया है। करीब 80 देश के लगभग सभी बड़े वैश्विक फूड चेन और खाद्यकृलाइफस्टाइल उत्पाद से जुड़े सरकारी संस्थानों को यहां पर 15 उत्पाद जोन में एकत्रित किया गया है, जहां पर भारतीय निर्यातक उनसे मिल पाएंगे। मोहित सिंघला ने कहा कि फिलहाल तक छोटे और मंझोले उत्पादकों के सामने यह चुनौती थी कि वह वैश्विक खरीदार तक कैसे पहुंचे। लेकिन इंडस फूड ने इस समस्या को खत्म करने का प्रयास किया है। यह एक प्लेटफार्म है जहां पर वे सीधे अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से मिल पाएंगे। अपने उत्पाद की खासियत बताने के साथ ही उनके साथ कारोबारी गठबंधन कर पाएंगे।
इससे भारतीय उत्पाद भी दुनिया भर के मुल्कों की दुकानों,शोरूम के विंडो में सजे हुए नजर आएंगे। उन्होंने कहा कि यह मेला इंडस फूड,1 से न केवल आकार बल्कि कारोबारी दृष्टि से भी बड़ा है इसलिए यह पिछले इंडस फूड,1 में हुए 650 मिलियन डॉलर के बिजनेस से अधिक का कारोबार करेगा। इंडस फूड,1 वर्ष 2018 की शुरूआत में हुआ था। इसमें 43 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। वहीं 12 वर्ग या कैटेगिरी में करीब 320 से अधिक भारतीय निर्यातकोंकृएक्सपोर्टरों ने इसमें हिस्सा लिया था। इंडस फूडकृ1 में करीब 650 मिलियन डॉलर का करारकृकारोबार हुआ था। टीपीसीआर विभिन्न एसोसियेशन और विदेश में कार्यरत करीब 84 भरतीय मिशन के नोडल अधिकारियों के सहयोग से इस मेला के लिए दुनिया भर में विभिन्न कारोबारी चैंबर्स के साथ संपर्क किया और उनसे इसके लिए करार किया। जिन देशो में इसके लिए संपर्क किया गया उसमें अमेरिका, यूरोप, आसियान और खाड़ी देश शामिल हैं।
भारतीय डेयरी, इथनिक फूड, स्वीटस, कंफेक्शनरी प्रमुख क्षेत्र हैं जिसके लिए वैश्विक बाजार में काफी संभावना है और उसी को लक्षित करने के लिए दुनिया के इन मुल्कों के प्रतिनिधियों को भी यहां बुलाया गया है जो न केवल इन क्षेत्रो के प्रतिनिधियों से मिलेंगे बल्कि उनके उत्पाद को अपने देश में बड़ा बाजार भी देंगे। दुनिया भर के 800 से अधिक वैश्विक फूडकृवेबरेज इंडस्ट्री के दिग्गजों की उपस्थिति वाला इंडस फूडकृ2 मेला का दिल्लीकृएनसीआर के एक्सपो सेंटर में शुरू हो गया है। यह भारत का आधिकारिक निर्यात एक्सपोर्ट केंद्रित फूड कृ वेबरेज मेला है, जिसका उददेश्य भारतीय उत्पाद को वैश्विक मंच और निवेशक दिलाना है तो वैश्विक निवेशकों को भारतीय उत्पाद बनाने वाली कंपनियों में निवेश का अवसर उपलब्ध कराना है। यहां पर न केवल फूडकृवेबरेज बल्कि कृषि और खाद्य प्रसंस्करणकृफूड प्रोसेसिंग उद्वोगों से जुड़े दिग्गजों को एक मंच पर लाने के साथ उनके बीच करार की संभावना बढ़ाना और स्वास्थ्य के प्रति सचेत दुनिया भर के ग्राहकों के लिए बेहतरीन प्रोडेक्ट को दुनिया के हर मुल्क तक पहुंचाना है। इस मेला के माध्यम से भारतीय उत्पादकों को दुनिया के सभी देशों तक अपने उत्पाद को पहुंचाने की सुविधा दिलाने के लिए उन्हें अलग मुल्कों से आए विशेष प्रतिनिधियों के साथ करार की वार्ता का मंच भी दिया जा रहा है।