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रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने दिया इस्तीफा, रेल हादसों की ली नैतिक ज़िम्मेदारी

यूपी में पांच दिन के अंदर दो रेल हादसों के बाद विपक्ष की आलोचना का केंद्र बने रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने हादसों की नैतिक ज़िम्मेदारी ली है. उन्होंने अपने इस्तीफे की पेशकश की है.

 

अगर उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया जाएगा तो हादसों की जिम्मेदारी के बाद इस्तीफा देने वाले तीसरे रेलमंत्री बनेंगे. उनसे पहले आजाद भारत के इतिहास में सिर्फ दो रेल मंत्रियों ने इस तरह इस्तीफा दिया है. एनडीए कार्यकाल के नीतीश कुमार भी इसी में शामिल हैं.

आजाद भारत के इतिहास में हादसों के बाद नैतिकता के आधार पर इस तरह इस्तीफा देने वाले पहले रेल मंत्री पूर्व स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री थे.

शास्त्री ने क्यों दिया था इस्तीफा

पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में लाल बहादुर शास्त्री को रेलमंत्री बनाया गया था. तमिलनाडु के अरियालुर में 27 नवंबर 1956 को भीषण ट्रेन हादसा हुआ था. हादसे में करीब 142 लोगों की मौत हो गई थी. लालबहादुर ने हादसों की नैतिक जिम्मेदारी ली और इस्तीफा डे दिया.

 43 साल बाद नीतीश कुमार ने दिया था इस्तीफा

शास्त्री जी के बाद नैतिक आधार पर इस्तीफा देने वाले रेलमंत्री बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी थे. अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में नीतीश एनडीए सरकार में रेलमंत्री बनाए गए थे. 1999 में गैसाल ट्रेन हादसा हुआ था. इस भीषण दुर्घटना में करीब 290 लोगों की मौत हो गई थी. इस तरह का इस्तीफा 43 साल बाद हुआ था.

वाजपेयी के ही कार्यकाल में एनडीए की रेलमंत्री ममता बनर्जी ने भी दो रेल हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेकर 2000 में इस्तीफा दिया था. हालांकि तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनका इस्तीफा अस्वीकार कर दिया था. यूपी में पांच दिन के अंदर दो बड़े हादसे हुए. पहला 19 अगस्त को मुजफ्फरनगर के खतौली में हुआ. इसमें कर्मचारियों की कथित लापरवाही से उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई. करीब 24 लोगों मरे जबकि 150 जख्मी हुए. दूसरा हादसा 29 अगस्त को औरेया जिले में हुआ. यहां कैफियत एक्सप्रेस के 10 डिब्बे पटरी से उतर गए. इस हादसे में 74 लोग घायल हुए हैं, हालांकि किसी के मौत की खबर नहीं.

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