नई दिल्ली: मुस्लिम समुदाय में एक बार में तीन तलाक की प्रथा को अपराध की श्रेणी में लाने वाला तीन तलाक विधेयक सोमवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं. हालांकि, इसके बाद भी लोकसभा में यह बिल पास हो चुका है. लेकिन राज्यसभा में नरेंद्र मोदी सरकार और विपक्षी एकता दोनों की कड़ा इम्तिहान है. राज्यसभा में यूपीए के पास एनडीए से ज्यादा संख्याबल है. सूत्रों की माने तो राज्यसभा में संख्याबल विपक्ष के समर्थन में है, जहां यूपीए के पास 112 जबकि एनडीए के पास 93 सदस्य हैं. एक सीट खाली है जबकि बाकी के अन्य दलों के 39 सदस्य न तो एनडीए और ना ही यूपीए से जुड़े हैं और वे विधेयक के पारित होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. ये 39 सांसद ही तय करेंगे कि गेंद यूपीए के पाले में जाएगा या फिर एनडीए के पाले में. कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दल तीन तलाक बिल को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग कर रहे हैं.
वहीं सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस ने व्हिप जारी करके अपने-अपने सदस्यों से सोमवार को ऊपरी सदन में उपस्थित रहने को कहा है. अन्य दलों ने भी अपने सांसदों से यह विधेयक सदन में पेश करने के दौरान उपस्थित रहने को कहा है. कांग्रेस ने अपने सांसदों की बैठक बुलाई है. कई विपक्षी दल भी सोमवार की सुबह विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के चैंबर में मुलाकात करके इस मुद्दे पर सदन की अपनी रणनीति बनाएंगे. तीन तलाक विधेयक को विपक्षी दलों का कड़ा विरोध झेलना पड़ सकता है. विपक्ष इसे आगे की जांच के लिए प्रवर समिति में भेजने की अपनी मांग को लेकर लामबंद है. सदन के सभापति एम वेंकैया नायडू के अपनी सास के निधन के कारण सोमवार को सदन में उपस्थित रहने की संभावना नहीं है और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सदन की कार्यवाही के संचालन का जिम्मा संभाल सकते हैं. विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ऊपरी सदन में इस विधेयक को पेश करेंगे. विधेयक को गुरुवार को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच लोकसभा द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है. विधेयक के पक्ष में 245 जबकि विपक्ष में 11 वोट पड़े थे. प्रसाद ने शुक्रवार को दावा किया था कि भले ही राज्यसभा में भाजपा नीत राजग के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं हो लेकिन सदन में इस विधेयक को समर्थन मिलेगा. विधेयक को सोमवार को राज्यसभा के विधायी एजेंडे में शामिल किया गया है.
विपक्ष ने तीन तलाक विधेयक के मजबूत प्रावधानों पर सवाल उठाए हैं. लोकसभा में विपक्ष ने इस विधेयक पर और गौर करने के लिए इसे संसद की ‘संयुक्त प्रवर समिति’ के पास भेजने की मांग की थी. अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) महासचिव के सी वेणुगोपाल ने शनिवार को कोच्चि में मीडिया से कहा कि पार्टी अन्य के साथ हाथ मिलाकर विधेयक को सदन में पारित नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि 10 विपक्षी दल लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 के खिलाफ खुलकर सामने आये थे. वेणुगोपाल ने कहा कि यहां तक कि अन्नाद्रमुक सहित जो दल विभिन्न मुद्दों पर सरकार का समर्थन करते हैं उन्होंने भी विधेयक का विरोध किया. तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक और विपक्षी दल द्रमुक विवादास्पद तीन तलाक विधेयक का विरोध करेंगे. ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) के नेता और लोकसभा में उपाध्यक्ष एम. थंबीदुरई ने कहा, ‘हम तीन तलाक विधेयक का विरोध करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘अन्नाद्रमुक का कर्तव्य है कि अल्पसंख्यकों के कल्याण की रक्षा करे. हमारे मुस्लिम भाईयों के खिलाफ इस विधेयक का अन्नाद्रमुक पूरी तरह विरोध करेगा.’ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के नेता और राज्यसभा की सदस्य कनिमोझी ने कहा कि तीन तलाक को ‘अपराध बनाए जाने’ के विरोध में उनकी पार्टी का रूख अडिग है.