हिमाचल: हिमाचल में ओवरऑल सेब सीजन भले ही कमजोर रहा हो, लेकिन किन्नौर में इस साल सेब की बंपर फसल हुई है। दुनिया भर में मशहूर किन्नौरी सेब की इस बार 30 लाख से ज्यादा पेटियां बाजार में पहुंची हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार पांच लाख पेटी ज्यादा पैदावार हुई है। ढाई दशक में किन्नौरी सेब का यह दूसरा सबसे अच्छा सीजन रहा।
इससे पहले 2016 में सर्वाधिक 37.49 लाख पेटी सेब का रिकॉर्ड है। दूसरी ओर शिमला, कुल्लू, चंबा समेत प्रदेश के अन्य सेब उत्पादक क्षेत्रों में इस बार करीब 50 लाख पेटी कम उत्पादन हुआ है। रंग, स्वाद और पौष्टिकता के चलते किन्नौरी सेब ने देश-विदेश की बड़ी-बड़ी मंडियों में पहचान बनाई है। जनजातीय जिला किन्नौर में जलवायु परिवर्तन के कारण सेब की पैदावार में उतार-चढ़ाव आता रहा है। जिले के निचले क्षेत्रों में पैदावार गिर रही है, लेकिन ऊंचाई वाले इलाकों में पैदावार में इजाफा हो रहा है। किन्नौर में बागवानी विभाग के उप निदेशक डॉ. हेमचंद शर्मा ने बताया कि बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सेब के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। औसत आठ हजार फीट की ऊंचाई पर होने वाला किन्नौरी सेब लंबे समय तक खराब नहीं होता है। यानी इसे लंबे समय तक इसे स्टोर किया जा सकता है। दूसरे सेब की अपेक्षा यह ज्यादा रसीला और मीठा होता है। लाल रंग के इस सेब का आकार भी बड़ा होता है। इसमें पौष्टिक तत्व ज्यादा होते हैं।
हिमाचल में 11 साल बाद सेब की सबसे कम फसल
हिमाचल में 11 साल बाद सेब की सबसे कम फसल हुई है। शिमला, कुल्लू, मंडी, सिरमौर, सोलन आदि जिलों के सेब उत्पादकों का कहना है कि मौसम की अनिश्चितता इसका कारण है। इससे बागवानों की वित्तीय स्थिति भी बिगड़ी। आंकड़ों के अनुसार इस बार 1.80 करोड़ सेब पेटी ही निकली, जबकि अमूमन करीब 2.50 करोड़ पेटी की पैदावार होती है।
हिमाचल में 11 साल बाद सेब की सबसे कम फसल लेकिन किन्नौर में हुई बंपर फसल
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