संयुक्त राष्ट्र: आतंकवाद से आज दुनिया को शायद ही कोई देश अछूता है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की समस्या से मुकाबला करने और शांति, सुरक्षा, मानवता, मानवाधिकार और सतत विकास के क्षेत्रों के बीच समन्वय की नयी रूपरेखा जारी की है. इस रूपरेखा को ‘संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद निरोधक समन्वय प्रभाव’ नाम दिया गया है. यह संयुक्त राष्ट्र प्रमुख, 36 सांगठनिक निकायों, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) और विश्व सीमाशुल्क संगठन के बीच समझौता है जो अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए सदस्य देशों की जरूरत को बेहतर तरीके से पूरा करने के लिए किया गया है. इस रूपरेखा की समन्वय समिति की पहली बैठक यहां गुरुवार को हुई जिसमें गुटेरेस ने आतंकवाद से निपटने में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के लिए पूरा सम्मान और कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया.
बता दें कि आतंकवाद को लेकर सुयक्त राष्ट्र पहले भी कई बार कड़ा रुख अपना चुका है. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि जो भी देश आतंकवाद का समर्थन करेगा उसको इसकी बड़ी भारी कीमतें चुकानी होंगी. आतंक से संयुक्त रूप से निबटने की खातिर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए उन्होंने अपनी मध्यस्थता की पेशकश की. महासचिव ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और देश के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्लाह अब्दुल्ला के साथ द्विपक्षीय बैठकें की थी. बाद में संवाददाताओं से बातचीत में संरा प्रमुख से उन दस्तावेजों तथा सबूतों के बारे में पूछा गया जो अफगानिस्तान सरकार ने आतंकवाद का वित्त पोषण करने व संसाधन मुहैया करवाने में पाकिस्तान की भागीदारी के संबंध में जमा करवाए थे. उनसे पूछा गया कि क्या विश्व निकाय इन दस्तावेजों पर विचार कर रहा था. इस पर गुटेरेस ने कहा था कि यह संरा की सुरक्षा परिषद की क्षमता से संबंधित क्षेत्र थे. महासचिव के तौर पर अब मेरा काम यह है कि मैं दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने के लिए अपनी मध्यस्थता कार्यालयों का इस्तेमाल करूं ताकि आतंक के खतरे से वे मिलकर निबट सकें.
उन्होंने रेखांकित किया कि अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर गनी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मुलाकात की थी. गुटेरेस ने कहा था कि कजाकिस्तान की राजधानी में उन्होंने भी प्रधानमंत्री शरीफ से मुलाकात की थी और उनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने की हरसंभव कोशिश करना है ताकि आतंक के खतरे से वे मिलकर निबट सकें. उन्होंने कहा था कि यह बेहद जरूरी है, न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए. अफगानिस्तान में हमने भयावह आतंकी हमले देखे, जैसा कि अभी काबुल में हुआ था, पाकिस्तान में भी भयानक आतंकी हमले देखे और पूरी दुनिया में आतंकी हमले देखे. अब समय आ गया है कि हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो जाएं और संयुक्त राष्ट्र का महासचिव होने के नाते यह मेरा लक्ष्य भी है.