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नाटक-नौटंकी से जनता को भरमाने का खेल भाजपा को खूब आता है: सपा

लखनऊ,। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि अपनी नाटक-नौटंकी से जनता को भरमाने का खेल भाजपा को खूब आता है। सरकार में हर मोर्चे पर विफलता उजागर हो चुकी है। जनता को अपनी उपलब्धि बताने के नाम पर उसके पास कुछ है नहीं, इसलिए अब सड़क पर मोटर साइकिलों की धमक दिखाकर और लोकतंत्र रक्षक सेनानियों का जमावड़ा करके वह अपने को चर्चा में रखने को उतावली है। भाजपा चाहे जितनी मोटर साइकिलों की रैली निकाले, लेकिन वह कीचड़ से बचकर नहीं निकल सकती है।

भाजपा की नाकामी का आलम यह है कि उत्तर प्रदेश में उसका नतीजा निल बटे सन्नाटा ही है। मंत्रिमण्डल के सदस्य मोटर साइकिल पर सवार होकर जो भी संदेश देने की कोशिश करते हों, लेकिन जनता को उससे प्रदूषण और जाम के संकट के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं हुआ। जनता को भाजपा रैली से एक ही संदेश मिला है कि उसे इस सरकार के रहते परेशानियों से छुटकारा नहीं मिलने वाला है। इस सच्चाई से सभी परिचित हैं कि श्री अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में ही लोकतंत्र रक्षक सेनानियों के लिए अधिनियम बना था और 15 हजार रूपए मासिक सम्मान राशि प्रदान की गई थी। पर अब तो हद हो गई कि भाजपा सरकार को इसका श्रेय लेने में जरा भी शर्म नहीं है।

दिल्ली में भी भाजपा की सरकार है उसने आखिर लोकतंत्र सेनानियों को क्या दिया? आपातकाल में स्वतंत्रता के मूल्यों की रक्षा के लिए जिन्होंने यातनाएं सही थी वे भाजपा सरकार के आचरण को देखकर दंग हैं। अखिलेश यादव की सरकार में ही लोकतंत्र रक्षक सेनानियों के आश्रित परिवारों को भी बाद में वही सुविधाएं जारी रहने की व्यवस्था की है। परिवहन, चिकित्सा में निःशुल्क सुविधा देने के साथ उनकी राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि का भी प्रावधान किया गया। भाजपा का आर्थिक और सामाजिक एजेण्डा सिर्फ दस प्रतिशत के हितों के लिए है। ठीक इसी तरह भाजपा का राजनीतिक आचरण भी व्यक्ति की स्वतंत्रता, उसकी गरिमा और समाज में सद्भाव के विरूद्ध है। भाजपा से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह समाजवादी सरकार के कामों पर जबरन अपना ठप्पा नहीं लगाएगी और कम से कम सच्चाई के रास्ते पर चलेगी। भाजपा अफवाह बाजी की अपनी राजनीति से ही सफलता का सपना देख रही है।

देश में आपातकाल के काले दिनों में श्री जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में दूसरी आजादी की लड़ाई लड़ी गई थी। इसमें बड़ी संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन के दौरान तत्कालीन सत्ता की बर्बरता के शिकार हुए थे। कई स्वतंत्रता सेनानी तो जेल यातना के दौरान ही शहीद हो गए। इन लोकतंत्र रक्षकों को सर्वप्रथम समाजवादी सरकार में ही सम्मान राशि मिलनी शुरू हुई थी। अखिलेश यादव ने इनके सम्मान को बढ़ाते हुए सम्मान राशि में वृद्धि 15 हजार कर दी थी। उनका कहना था देश में संविधान और इसमें अंतर्निहित स्वतंत्रता के मूल्यों की रक्षा के लिए जिन्होंने त्याग किया उनके प्रति समाज व सरकार को कृतज्ञ रहना चाहिए। लेकिन भाजपा सरकार तो कृतज्ञता की भाषा जानती ही नहीं उसके रग-रग में तो कृतघ्नता ही बसी है। इसलिए उसे उत्तर प्रदेश के विकास में अखिलेश के योगदान को स्वीकारने में भी हिचक होती है।

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