ब्रेकिंग:

वाराणसी मंडल, राजभाषा विभाग द्वारा साहित्यकार सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की जयंती मनाई गई

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, वाराणसी : पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के राजभाषा विभाग के तत्वावधान में, मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के हिंदी वाचनालय में सोमवार 03 फरवरी,2025 को बसंत पंचमी के अवसर पर सरस्वती वंदना की गई साथ ही हिंदी जगत के प्रख्यात साहित्यकार सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी की जयंती मनाई गई । कार्यक्रम का शुभारम्भ वरिष्ठ राजभाषा अनुवादक श्रीमती पूनम त्रिपाठी द्वारा माँ सरस्वती एवं ‘निराला’ जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया । तदुपरांत सभी कर्मचारियों ने पुष्पांजलि देते हुए हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले साहित्यकार सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला और उनकी प्रमुख रचनाओं का पाठन किया।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में पधारे भूतपूर्व वरिष्ठ राजभाषा अनुवादक मनोज दूबे ने बताया कि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी की पहली नियुक्ति महिषादल राज्य में ही हुई थी जहाँ उन्होंने १९१८ से १९२२ तक यह नौकरी की। उसके बाद संपादन, स्वतंत्र लेखन और अनुवाद कार्य की ओर प्रवृत्त हुए। १९२२ से १९२३ के दौरान कोलकाता से प्रकाशित ‘समन्वय’ का संपादन किया, १९२३ के अगस्त से मतवाला के संपादक मंडल में कार्य किया। इसके बाद लखनऊ में गंगा पुस्तक माला कार्यालय में उनकी नियुक्ति हुई जहाँ वे संस्था की मासिक पत्रिका सुधा से १९३५ के मध्य तक संबद्ध रहे। १९३५ से १९४० तक का कुछ समय उन्होंने लखनऊ में भी बिताया। इसके बाद १९४२ से मृत्यु पर्यन्त इलाहाबाद में रह कर स्वतंत्र लेखन और अनुवाद कार्य किया। उनकी पहली कविता ‘जन्मभूमि’ प्रभा नामक मासिक पत्र में जून १९२० में, पहला कविता संग्रह १९२३ में अनामिका नाम से, तथा पहला निबंध ‘बंग भाषा का उच्चारण’ अक्टूबर १९२० में मासिक पत्रिका सरस्वती में प्रकाशित हुआ। अपने समकालीन अन्य कवियों से अलग उन्होंने कविता में कल्पना का सहारा बहुत कम लिया है और यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया है। वे हिन्दी में मुक्तछन्द के प्रवर्तक भी माने जाते हैं। १९३० में प्रकाशित अपने काव्य संग्रह परिमल की भूमिका में उन्होंने लिखा है-
(“मनुष्यों की मुक्ति की तरह कविता की भी मुक्ति होती है।” मनुष्यों की मुक्ति कर्म के बंधन से छुटकारा पाना है और कविता की मुक्ति छन्दों के शासन से अलग हो जाना है। जिस तरह मुक्त मनुष्य कभी किसी तरह दूसरों के प्रतिकूल आचरण नहीं करता, उसके तमाम कार्य औरों को प्रसन्न करने के लिए होते हैं फिर भी स्वतंत्र है । कुछ इसी तरह उनकी कविता भी है।)

इस अवसर पर कार्मिक विभाग से दीपक कुमार मिश्र, राहुल कुमार, अंकुर कुमार परिचालन विभाग से पूनम श्रीवास्तव, गायत्री यादव, आरती कुमारी, उर्मिला गुप्ता राजभाषा विभाग से श्रीमती पूनम त्रिपाठी, श्रीमती ममता यादव, अजय कुमार सिंह, अमित कुमार साव, दिव्या शर्मा, यांत्रिक (समाडि) से श्रीमती अनीता तिवारी, श्रीमती आरती वर्मा, श्रीमती पूनम तिवारी, श्रीमती आशा सिंह, श्रीमती अंजू मिश्रा, संरक्षा विभाग से श्रीमती रीना सिंह एवं बड़ी संख्या में पर्यवेक्षक एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहें। कार्यक्रम के अंत में राजभाषा विभाग से श्रीमती पूनम त्रिपाठी ने उपस्थित सभी लोगों का धन्यवाद ज्ञापन किया।

Loading...

Check Also

प्रयाग परिक्षेत्र के स्टेशनों पर स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन, 427 रेलकर्मियों के स्वास्थ्य का हुआ परीक्षण

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ / प्रयागराज : महाकुंभ 2025 के सफल एवं सुगम आयोजन …

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com