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नाबार्ड ने वित्त वर्ष 2024 – 25 के लिए प्राथमिकता क्षेत्र में ₹ 5.73 लाख करोड़ की ऋण संभाव्यता का अनावरण किया

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ : उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने उत्तर प्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर के साथ गुरूवार को होटल ताजमहल, गोमती नगर, लखनऊ में नाबार्ड द्वारा आयोजित राज्य ऋण संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश राज्य के लिए स्टेट फोकस पेपर 2024-25 का विमोचन किया।
प्राथमिकता क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) राज्य के लिए ऋण संभाव्यता का आकलन करते हुए हर साल राज्य फोकस पेपर तैयार करता है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए, इस शीर्ष विकास वित्त संस्थान ने उत्तर प्रदेश के लिए प्राथमिकता क्षेत्र के तहत 5.73 लाख करोड़ रुपये की ऋण संभाव्यता का अनुमान लगाया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष के अनुमान से 52.4 प्रतिशत अधिक है। आगामी वर्ष में कृषि के लिए ऋण संभाव्यता 2.46 लाख करोड़ रुपये और एमएसएमई के लिए 2.92 लाख करोड़ रुपये आकलित की गई है। अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए 0.35 लाख करोड़ रुपये की संभाव्यता का अनुमान लगाया गया है जिसमें आवास ऋण के लिए 0.18 लाख करोड़ रूपये और निर्यात ऋण के लिए 0.05 लाख करोड़ रूपये शामिल हैं।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तर प्रदेश भारत के नए विकास इंजन के रूप में उभरा है। ऋण किसी भी अर्थव्यवस्था के विकास का आधार होता है। मंत्री ने ऋण और अन्य सहयोग के माध्यम से राज्य के प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों को मजबूत करने में पिछले 40 वर्षों से नाबार्ड के निरंतर प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बैंकरों से अपील की कि वे राज्य फोकस पेपर में अनुमानित ऋण संभाव्यता का 100 प्रतिशत प्राप्त करने के लिए प्रयास करें। उन्होंने राज्य में ऋण जमा (सीडी) अनुपात में सुधार करने का भी आह्वान किया। उन्होंने राज्य में एमएसएमई क्षेत्र की तेजी से वृद्धि और एसीपी लक्ष्यों की अधिक उपलब्धि (124 प्रतिशत) की सराहना की। आज, राज्य देश में सबसे अधिक एमएसएमई वाला राज्य है।
वित्त मंत्री ने कहा कि आधारभूत ढांचा रोजगार पैदा करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक है और केन्द्र तथा राज्य सरकारें इस क्षेत्र में अपने खर्च में लगातार वृद्धि कर रही हैं। उन्होंने राज्य के कृषि और अन्य उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में उत्तर प्रदेश में श्रीअन्न (मोटे अनाज) का 20 प्रतिशत उत्पादन होता है, लेकिन केवल 01 प्रतिशत का ही निर्यात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2027 तक राज्य की अर्थव्यवस्था को 01 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को साकार करने के लिए, कृषि क्षेत्र में 250 प्रतिशत, एमएसएमई में 300 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र में 450 प्रतिशत की वृद्धि की आवश्यकता है।
संगोष्ठी में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित सहकारिता मंत्री जे.पी.एस राठौर ने कृषि और सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा देने में उत्तर प्रदेश में नाबार्ड के योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में उत्तर प्रदेश की अग्रणी भूमिका है। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने में राज्य में सहकारी समितियों और पैक्स को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सहकारी बैंकों को लाभप्रद बैंकों में बदलने के लिए नाबार्ड की सराहना की। उन्होंने उल्लेख किया कि पैक्स कम्प्यूटरीकरण, पैक्स को मल्टी सर्विस सेंटर के रूप में बढ़ावा देना, विभिन्न आईटी पहलों के माध्यम से सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए भारत सरकार, राज्य सरकार और नाबार्ड के बीच त्रिकोणीय सहयोग से राज्य में सहकारी क्षेत्र सशक्त बनेगा।
अपर मुख्य सचिव कृषि डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में कहा कि एआईएफ योजना के तहत उत्तर प्रदेश में दी जाने वाली 6 प्रतिशत ब्याज सहायता, पूंजीगत सब्सिडी और क्रेडिट गारंटी जैसे लाभों को किसानों के बीच लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। इससे फसल कटाई के बाद के नुकसान की समस्या का समाधान होगा और राज्य में कृषि बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा।
अपर मुख्य सचिव, एमएसएमई अमित मोहन प्रसाद ने दिसंबर 2023 तक 1.73 लाख करोड़ रुपये के ऋण वितरण के लक्ष्य को प्राप्त करने में सभी बैंकरों के योगदान के लिए बधाई दी।
प्रमुख सचिव, योजना आलोक कुमार ने बैंकरों से ऋण की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड में ऋण जमा अनुपात में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। बैंकरों से उन्होंने मार्च 2024 तक 60 प्रतिशत और मार्च 2025 तक 65 प्रतिशत के सीडी अनुपात को प्राप्त करने का आहवान किया। उन्होंने राज्य की योजना बनाने के लिए ऋण वितरण का क्षेत्रवार और जिलावार विश्लेषण प्रदान करने के लिए नाबार्ड और आरबीआई से सहयोग की अपील की।
अपने स्वागत भाषण में एस. के. दोरा, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड, उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय ने कहा कि राज्य फोकस पेपर में निर्धारित अनुमान राज्य के सभी 75 जिलों के लिए जमीनी स्तर पर आकलित की गई संभाव्यता का एकत्रीकरण है और राज्य फोकस पेपर के आधार पर, 2024-25 के लिए राज्य की वार्षिक ऋण योजना को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) द्वारा अंतिम रूप दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश को एक अपार संभाव्यता युक्त और 19.2 प्रतिशत की अनुमानित विकास दर के साथ भारत के विकास इंजन के रूप में उल्लेख करते हुए एस. के. दोरा ने कहा कि व्यापार सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) के मामले में राज्य 2017 में 14 वें स्थान से अब दूसरे स्थान पर आ गया है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष एसीपी के साथ एसएफ़पी का सामंजस्य 92 प्रतिशत थी जिसे इस वर्ष 100 प्रतिशत तक करने की आवश्यकता है। उन्होंने कृषि सावधि ऋण बढ़ाने परज़ोर दिया जो कृषि में पूंजी निर्माण का कार्य करता है। उन्होंने राज्य में निर्यात क्षेत्र के विकास की सराहना की। उन्होंने ऋण की कमी वाले जिलों में ऋण जमा अनुपात में सुधार करने, केसीसी की पहुंच बढ़ाने और संतुलित विकास हासिल करने के लिए ऋण प्रवाह में क्षेत्रीय असमानता को दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राज्य सरकार से राज्य में ग्रामीण आधारभूत बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक रोड मैप तैयार करने का आग्रह किया।
भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. बालू केंचप्पा ने नाबार्ड द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि राज्य फोकस पेपर में जिलों की ऋण संभाव्यता और संबंधित विभागों और बैंकों से प्राप्त जानकारी के आधार पर इस अंतर को पूरा करने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों का उल्लेख किया जाता है । उन्होंने ‘‘महा सदस्यता अभियान’’ के तहत पैक्स स्तर पर 30 लाख नए शेयरधारक जोड़ने के लिए राज्य सरकार और सहकारिता विभाग को बधाई दी।उन्होंने सहकारी बैंकों से पैक्स को बैंकिंग दायरे में लाने का आह्वान किया। इसके अलावा, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बैंकरों को अल्पकालिक कृषि ऋण के साथ साथ सावधि ऋण का लाभ उठाने के लिए भी किसानों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
राज्य सरकार के अधिकारियों, भारतीय रिजर्व बैंक और नाबार्ड के अधिकारियों द्वारा ग्रामीण आधारभूत ढांचे के विकास, वित्तीय समावेशन, जलवायु परिवर्तन, सहकारी क्षेत्र की वृद्धि आदि जैसे विभिन्न विषयों पर प्रस्तुतियां दी गईं। संगोष्ठी में राज्य सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक, वरिष्ठ बैंकरों और अन्य संस्थानों के गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया !

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