रविन्द्र शर्मा : दक्षिण में खुद को मजबूत करने में लगी भारतीय जनता पार्टी भले ही कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हार गयी हो पर उत्तर प्रदेश में हुए निकाय चुनाव में उसे ऐतिहासिक जीत हासिल हुई। कर्नाटक विधानसभा और यूपी में निकाय चुनाव साथ-साथ होने के चलते भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व का पूरा फोकस कर्नाटक में रहा। ऐसे में भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर यूपी निकाय चुनाव लड़ा। इस चुनाव में भाजपा को बड़ी जीत मिली। नगर निगमों में पार्टी ने क्लीन स्वीप किया तो वहीं नगर पालिका और नगर पंचायतों में उसकी सीटें बढ़ीं।
निश्चित तौर पर भाजपा की ये जीत बेहद खास है क्योकि अगले साल यानि 2024 में लोकसभा के चुनाव होने हैं, जहां भाजपा अपनी जीत का हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रही है। कहा जाये तो पार्टी अपने हैट्रिक को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त भी है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में मिली बड़ी जीत पार्टी का मनोबल और उंचा करेगी। भाजपा की इस जीत के नायक रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। यूं तो 2017 में यूपी में भाजपा की सरकार बनने और योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद से ही सियासी गलियारे में इस चर्चा ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया था कि देश की राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद योगी उनके उत्तराधिकारी होंगे। योगी आदित्यनाथ के सरकार चलाने के तरीकों ने इस चर्चा को और बल दिया।
दरअसल सत्ता संभालने से पूर्व गोरक्षनाथ पीठ के महंत और गोरखपुर का सांसद रहते हुए हिंदूवादी नेता के तौर पर योगी की छवि बेहद मजबूत थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी और बड़े नेता हो गये मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी ने जो फैसले लिए उसने उन्हें जनता के साथ मजबूती से जोड़ने का काम किया। सत्ता संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने जो फैसले लिए उसने उन्हें प्रदेश की जनता के साथ मजबूती से जोड़ने का काम किया। इन सबसे अलग भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति और माफियाराज के खात्मे के उनके संकल्प और तरीकों ने उनकी अलग तस्वीर बनायी।
योगी ने माफियाओं के अवैध कब्जों वाली जमीनों और संपत्तियों पर बुलडोजर चलवाया। हजारों करोड़ की संपत्तियां सरकार ने जप्त कीं। हजारों एकड़ अवैध जमीनों पर बनी इमारतों को बुल्डोज़र ने जमीदोज किया। योगी के इस बुल्डोज़र माडल को लोगों ने खूब पसंद किया। यही वजह रही कि 2022 के विधानसभा चुनाव में बुल्डोज़र को कानून व्यवस्था का प्रतीक माना गया और चुनाव प्रचार में इसका जम कर प्रयोग हुआ। माफियाओं को ख़त्म करने के योगी आदित्यनाथ का एनकाउंटर मॉडल भी खासा चर्चित रहा। उसका फायदा भी सीधे भाजपा को मिला और दूसरी बार भाजपा की सत्ता में वाप्सोई हुई।
योगी की बढ़ती लोकप्रियता और जनता के उनमें बढ़ते भरोसे ने योगी का कद और बड़ा किया। 2019 में लोकसभा चुनाव में जब भाजपा को उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत मिली तो एक बार फिर पुरानी चर्चा को बल मिलना शुरू हो गया। मीडिया ने दिन-रात इस खबर को चलाया। अब निकाय चुनाव में केवल योगी आदित्यनाथ को भाजपा का चेहरा बना कर पार्टी ने इन चर्चाओं को और मजबूती दी है। निकाय चुनाव में मिली बम्पर जीत से योगी का डंका बज रहा है। वहीं दूसरी ओर ये चर्चा भी जोरशोर से चलने लगी है कि इस जीत से योगी आदित्यनाथ का कद पार्टी और सियासत दोनों में और ज्यादा बड़ा हो गया है। माना जा रहा है कि पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व और बड़े नेताओं के कर्नाटक चुनाव में व्यस्तता से योगी को एक ऐसा अवसर मिला जो देश के राजनीति की दशा और दिशा बदलने का काम करेगा। योगी इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए सियासी सफ़र में एक पायदान और ऊपर चढ़ने में कामयाब रहे।
:- लेखक लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं !