लखनऊ/बीजिंग: म्यांमार के सैन्य शासक का समर्थन करने वाले चीन ने रोहिंग्या मुद्दे के राजनैतिक समाधान की मंगलवार को मांग की. उसने कहा कि ‘एकतरफा आरोप और दबाव’ काम नहीं करेगा. चीनी विदेश मंत्रालय का यह बयान संयुक्त राष्ट्र के जांच अधिकारियों के सेना प्रमुख समेत म्यांमार के शीर्ष सैन्य नेताओं के खिलाफ देश में रोहिंग्या मुसलमानों के नरसंहार के लिए मुकदमा चलाने की मांग किये जाने के एक दिन बाद आया है.
सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों ने छोड़ा था म्यांमार
सेना के पिछले साल रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के बाद तकरीबन सात लाख रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के उत्तरी रखाइन प्रांत से भागकर बांग्लादेश चले गए थे. सैनिकों और उग्र भीड़ द्वारा आगजनी, हत्या और महिलाओं से बलात्कार किए जाने की खबरें आई थीं. म्यांमार मूलत: बौद्ध देश है. उसने जातीय सफाये के आरोपों का खंडन किया है.
संयुक्त राष्ट्र जांच अधिकारियों की सिफारिश पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाताओं से कहा कि मुद्दे का समाधान करने के लिए राजनैतिक हल ढूंढने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘रखाइन प्रांत का इतिहास, धर्म और जातीय समूह के मामले में जटिल पृष्ठभूमि है. हम उम्मीद करते हैं कि बांग्लादेश और म्यांमार अधिक संवाद करेंगे और रखाइन प्रांत में शांति, स्थिरता और खुशहाली में योगदान करेंगे.’
चीन के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में म्यांमार के खिलाफ कार्रवाई की राह में अड़ंगा लगाने के सवाल पर हुआ ने कहा, ‘मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि चीन ने संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के खिलाफ कार्रवाई को अवरूद्ध किया है.’ उन्होंने कहा कि इस मुद्दे की बेहद जटिल ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है.
उन्होंने कहा,‘हमें इसका राजनैतिक समाधान ढूंढने की आवश्यकता है. मुद्दे का समाधान करने में बांग्लादेश और म्यांमार के बीच कुछ प्रगति हुई है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मुद्दे का सही तरीके से समाधान करने में मदद करनी चाहिये. एकतरफा आरोप और दबाव से समस्या के समाधान में मदद नहीं मिलेगी.’ बता दें चीन पिछले दो दशकों से म्यांमार के सैन्य शासक का समर्थन कर रहा है. रखाइन प्रांत में उसका व्यापक निवेश है.