मुंबई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए शुक्रवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को अपने इस कदम के उद्देश्यों तथा चार साल की अवधि के दौरान छह लाख करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र करने के मुख्य लक्ष्य के बारे देश को बताना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि जिन संपत्तियों की पहचान एनएमपी के तहत की गई है, उनसे मौजूदा समय में भी कोई न कोई राजस्व जरूर मिल रहा होगा। चिदंबरम ने सवाल किया। क्या सरकार ने मौजूदा राजस्व और चार साल की अवधि में मिलने वाले छह लाख करोड़ रुपये के राजस्व में अंतर का आकलन किया? अगर किया है तो फिर इन चार वर्षों में हर साल दोनों राजस्व में कितना अंतर होगा?”
उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी ने सत्ता में रहते हुए, घाटे में चल रही संपत्तियों का मुद्रीकरण किया, जबकि नरेंद्र मोदी सरकार इसके उलट कर रही है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कांग्रेस ने कभी सामरिक महत्व वाली संपत्तियों को नहीं बेचा। चिदंबरम ने जोर देकर कहा, ”हमने हमेशा सुनिश्चित किया कि किसी तरह का एकाधिकार नहीं होना चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के अनुसार, सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि छह लाख करोड़ रुपये के राजस्व का उपयोग 2021-22 के दौरान 5.5 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे के संदर्भ में आंशिक रूप से नहीं होगा।
उन्होंने सरकार से यह बताने का भी आग्रह किया कि एनएमपी के उद्देश्य क्या हैं और छह लाख करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र करने का मुख्य लक्ष्य क्या है ? चिदंबरम ने सरकार के समक्ष 20 सवाल रखे और कहा कि सरकार को चिन्हित की गई संपत्तियों के उस मूल्य का खुलासा करना चाहिए जो एक अवधि के बाद सरकार के पास वापस जाएगा।