महिलाओं को अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। हाल ही में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि पीरियड्स को लेकर 71 प्रतिशत महिलाएं आज भी अंजान हैं। उन्हें इससे जुड़ी परेशानियों और खासकर हाइजीन के बारे में जानकारी ही नहीं होती। ऐसा शर्म या फिर जागरूकता की कमी के कारण भी हो सकता है। जिससे महिलाओं को सेहत से जुड़ी कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है।
सैनिटरी पैड के बारे में जागरूकता की कमी
ग्रामीण इलाकों में आज भी बहुत लड़कियां पीरियड्स के दौरान 3 या 4 दिन स्कूल मिस कर देती हैं। इसका कारण सैनिटरी नैपकीन के इस्तेमाल के बारे में जागरूक न होना और कपड़े का इस्तेमाल करना है। कपड़े के इस्तेमाल से होने वाले रिसाव से उन्हें दाग लगने का डर होता है। इसके अलावा कपड़े से संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जो बाद में वेजानल डिस्टार्ज या यूरीन इंफैक्शन का कारण बन सकता है। महंगे सैनिटरी पैड लोगों की पहुंच से दूर
गरीब परिवार की लड़कियों के लिए सैनिटरी पैड की कीमत भी इसे इस्तेमाल न करने की एक वजह है। जिन लोगों के लिए दो वक्त की रोटी कमा कर खाना भी मुश्किल हैं उन महिलाओं की पहुंच से यह नैपकिन बहुत दूर हैं। जिस कारण उन्हें पुराने कपड़ों को बार-बार इस्तेमाल करना पड़ता है।
खुल कर नहीं होती पीरियड्स पर बात
ग्रामीण इलाके की महिलाएं इस विषय पर खुल कर बात करने से झिझकती हैं। ग्रामीण महिलाओं को इस दौरान होने वाले हॉर्मोनस बदलाव, दर्द, अनियमित्ता, कमजोरी, तनाव, मूड स्विंग आदि जैसे अन्य मुद्दों पर खुल कर बात और विचार-विमर्श करने की अनुमति नहीं होती। वह इसके लिए स्कूल कॉलेज का काम तक छोड़ देती हैं और सेहत की अनदेखी करती हैं।
सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकती है पीरियड्स इंफेक्शन
मासिक धर्म के बारे में महिलाओं का जागरूक होना बहुत जरूरी है। हाइजीन के तरीकों की अनदेखी या जानकारी की कमी होने के कारण सर्वाइकल कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
मां का बेटी से बात करना बहुत जरूरी
मां बेटी की हर जरूरत को अच्छी तरह से समझती है। यह चिंता का विषय है कि लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं मासिक धर्म को गंदा या प्रदूषणकारी समझती हैं। इससे भी ज्यादा परेशानी यह है कि वे इस बारे में समाज तो क्या अपनी खुद की बेटी से भी बात में झिझक और शर्म महसूस करती हैं। जिस कारण वे खुद और बेटी की परेशानियों को दूर नहीं कर पाती जबकि इसे अन्य शारीरिक प्रक्रिया की तरह मानना बहुत जरूरी है।
परिवार और समाज भी होना चाहिए जागरूक
एक्सपर्ट का मानना है कि पीरियड्स के बारे में सिर्फ मां, बेटी या महिलाएं ही नहीं बल्कि परिवार और समाज को भी जागरूक होना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में, इस विषय पर लड़कियों और लड़कों को समान रूप से शिक्षित करने के लिए स्कूलों में सक्षम वातावरण बनाना भी अनिवार्य है ताकि मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं के बारे में खुल कर बात की जाए।
71 प्रतिशत महिलाएं हैं इस प्रॉब्लम से अंजान, कहीं आप भी तो नहीं
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