अशाेेेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शिक्षामित्रों की अपील की सुनवाई के दौरान पहले तो उच्चतम न्यायालय ने याचिका खारिज करने का मौखिक आदेश सुना दिया।
लेकिन चंद मिनटों बाद ही फिर से सुनवाई करते हुए संशोधित आदेश के साथ राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एम एम शांतनगौदर और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने याचिकाकर्ता ‘उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज करने का मौखिक आदेश सुना दिया, लेकिन कुछ न्यायिक पहलुओं पर ध्यान दिलाये जाने के बाद सुनवाई फिर शुरू हुई।
वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और ए. सुंदरम वीडिया कांफ्रेंसिंग स्क्रीन पर मौखिक आदेश जारी होने के बाद दिखायी दिये और उन्होंने अपनी दलीलें शुरू की। इसके बाद न्यायालय ने याचिका खारिज करने के अपने मौखिक आदेश में संशोधन की मंशा जतायी।
सुनवाई फिर से कुछ देर चली और सॉलिसिटर जनरल एवं अन्य वकीलों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने राज्य सरकार एवं अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया तथा इसके जवाब के लिए 14 जुलाई तक का समय दिया। न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह छह जुलाई तक रिक्तियों का चार्ट न्यायालय को सौंप दे।
बेंच ने यूपी सरकार द्वारा तय किए गए 150 अंकों में सामान्य को 97 और आरक्षित वर्ग को 90 अंक लाने पर मुहर लगाई है और आदेश दिया कि तीन महीने के अंदर भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
इसी आदेश के तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी 65 फीसदी और बाकी अन्य आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी 60 फीसदी अंक पाकर ही पास माने जाएंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरी भर्ती प्रक्रिया को एक हफ्ते के अंदर निपटाने के आदेश दिए हैं।