लखनऊ, 17 मार्च। भारत में कोरोनावायरस के बढ़ते खतरे की बीच केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने राज्यसभा में कहा है कि देश कोरोनावायरस का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और घबराने की जरूरत नहीं है। डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि कोरोना वायरस की वैक्सीन की टेस्टिंग चल रही है और सरकार काफी मुस्तैद है।
दूसरी ओर, चाहे चीन हो, इटली हो या फिर अमेरिका, लॉक डाउन और आइसोलेशन जैसे कड़े कदमों के बाद COVID- 19 को रोकने में मनचाही सफलता नहीं मिल रही है।
वैश्विक महामारी घोषित होने के बाद अब उम्मीदें वैक्सीन की ओर लगी हैं। अच्छी बात यह है जिस तरह से वैज्ञानिकों ने सार्स, मार्स और इबोला जैसी बीमारियों के लिए वैक्सीन बनाने में जैसी एकजुटता दिखाई थी, वैसी ही कोरोना में देखने को मिल रही है।
WATCH: U.S. researchers gave the first shot to the first person in a test of an experimental #coronavirus vaccine Monday. It happened at the Kaiser Permanente Washington Research Institute in Seattle. pic.twitter.com/Fj000xC5Wa
— Montgomery County Scanner (@MoCoScanner) March 16, 2020
चीन ने सबसे पहले सार्स-CoV-2 के जेनेटिक मटेरियल की जांच पूरी करके उसे जनवरी में ही दुनियाभर के वैज्ञानिकों के साथ साझा कर लिया था, इसके बाद प्रोटोटाइप और अब प्रभावी वैक्सीन के परीक्षण और डेटा कलेक्शन की दिशा में तेजी से काम हो रहा है।
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ ने कहा है कि मार्च में पहला ट्रायल शुरू होने के बाद अब तीन महीन डेटा जमा करने में लगेंगे। इसके बाद अगला चरण शुरू होगा।
दुनियाभर में 50 से ज्यादा मेडिकल इंस्टीट्यूट और कंपनियां COVID- 19 का वैक्सीन बनाने में दिन-रात जुटी हैं। चीन, अमेरिका और इजराइल की चार कम्पनियां तो वैक्सीन का जानवरों पर परीक्षण भी कर चुकी हैं।
यूएस बायोमेडिकल एडवांस रिसर्च एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी इसके लिए प्राइवेट कंपनियों के वैज्ञानिकों को साथ लेकर आगे बढ़ रही है। फ्रेंच कम्पनी सनोफी पाश्चर और जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कंपनियां इस प्रोजेक्ट में साथ काम कर रही हैं।
अमेरिका के बोस्टन की बेस्ट बायोटेक कंपनी मोडेर्ना ने 16 मार्च को साहसिक कदम उठाते हुए इंसानों पर भी वैक्सीन का परीक्षण शुरू कर दिया है।
जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी न्यूज के सर्वे के मुताबिक सरकारी संस्थानों के अलावा ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन और सनोफी जैसी बड़ी और मॉडर्ना और ग्लीड साइंसेज जैसी छोटी कंपनियां तेजी से वैक्सीन के परीक्षण में लगी हैं, फिर भी 2020 में इसके मार्केट में आने की संभावनाएं कम हैं।
अमेरिका ने सबसे आगे निकलते हुए कोरोना वैक्सीन का इंसानी परीक्षण कर लिया है। सिएटल की काइज़र परमानेंट रिसर्च फैसिलिटी में सबसे पहले यह वैक्सीन दो बच्चों की मां 43 वर्षीय जेनिफर नाम की महिला को लगाया गया।
पहले ट्रायल में 45 स्वस्थ युवा शामिल किए गए हैं। वैक्सीन को अमेरिकी फार्मा कंपनी मॉडर्ना ने तैयार किया और इसकी फंडिंग कर रहे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के साथ मिलकर ट्रायल किया जा रहा है।
ट्रायल में सफलता मिलने पर भी इसे तैयार करने में 18 महीने लगेंगे। सामान्य तौर पर किसी भी वैक्सीन का पहला परीक्षण जानवरों पर किया जाता है, लेकिन महामारी के असर को देखते हुए इसका सीधा इंसानों पर परीक्षण किया गया है।
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस के स्ट्रेन को अलग करने में सफलता प्राप्त कर ली है। वायरस के स्ट्रेन्स को अलग करने से इसकी जांच के लिए किट बनाने, दवा का पता लगाने और टीके का शोध करने में काफी मदद मिल सकेगी।
अभी तक अमेरिका, जापान, थाईलैंड और चीन ही दुनिया में चार ऐसे देश हैं, जिन्हें ये कामयाबी मिली है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की वैज्ञानिक प्रिया अब्राहम ने बताया कि कोरोनावायरस से बचाव के लिए भारत ने पहला चरण पार कर लिया है।
भारत में 6 हजार टेस्ट रोज हो हैं। आगे 10 लाख किट्स से अधिक का ऑर्डर दिया जा चुका है। आईसीएमआर टेस्टिंग के लिए निजी अस्पतालों की सुविधा लेने पर विचार कर रहा है।’