मुंबई : रिलायंस जियो इन्फोकॉम (जियो) की फाइबर यूनिट बैंकों के एक समूह से 27 हजार करोड़ रुपए का सिंडिकेटेड लोन जुटा रही है। सूत्रों के अनुसार, जियो से फाइबर यूनिट को अलग करने के बाद इसे वित्तीय मदद देने के लिए कंपनी ने यह योजना बनाई है। कंपनी जिस बैंक समूह से कर्ज ले रही है, उसमें एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक और पीएनबी शामिल हैं। कंपनी के इस कदम का यह भी मतलब है कि ग्रुप का फाइबर केबल बिजनेस पर फोकस बढ़ रहा है। जियो के डीमर्जर प्रोसेस से बनने वाली दो इकाइयों में से एक जियो इन्फ्राटेल प्राइवेट है। इसने दो साल की मच्योरिटी के साथ यह कर्ज लिया है।
इस पर कंपनी 8.35-8.85 फीसदी का ब्याज देगी। मिली जानकारी के अनुसार, यह कर्ज डीमर्जर प्रोसेस में मदद के लिए लिया जा रहा है, जिसके बाद फाइबर बिजनेस स्टैंडअलोन सब्सिडियरी बनेगी।कंपनी की इस योजना से वाकिफ एक सीनियर ऐनालिस्ट ने बताया, श्इस कर्ज का इस्तेमाल फाइबर यूनिट को मजबूत बनाने में किया जाएगा और यही आगे का रास्ता है। उन्होंने कहा कि इस फाइबर नेटवर्क का इस्तेमाल दूसरी टेलिकॉम कंपनियां भी कर सकेंगी। उन्होंने बताया कि यहां तक कि पावर6इंडस्ट्री भी इसका इस्तेमाल कर सकती है।कहा जा रहा है कि एसबीआई इसमें 10-11 हजार करोड़ का कर्ज दे रहा है।
आईसीआईसीआई और पीएनबी में से हरेक ने जियो की फाइबर यूनिट के लिए 5000-5000 करोड़ कर्ज देने का वादा किया है और ऐक्सिस बैंक उसे 6,000 करोड़ का कर्ज दे रहा है। हालांकि, इस बारे में ई-मेल भेजकर रिलायंस ग्रुप से प्रतिक्रिया मांगी गई थी लेकिन खबर लिखे जाने तक इसका जवाब नहीं मिला था। ऐक्सिस बैंक ने इस खबर पर कॉमेंट करने से इनकार कर दिया जबकि एसबीआई, आईसीआईसीआई और पीएनबी से ईमेल से पूछे गए सवालों का जवाब नहीं मिला।