जीएसटीएन द्वारा जारी नए आंकड़ों के मुताबिक 1 जुलाई से देश में लागू जीएसटी के बाद कंपनियों के लिए जरूरी जीएसटी माइग्रेशन की रफ्तार बेहद सुस्त है. आंकड़ों के मुताबिक सेंट्रल एक्साइज टैक्स देने वाली 43,854 कंपनियों में अभी तक महज 15,786 कंपनियों ने जीएसटी माइग्रेशन की प्रक्रिया को पूरा किया है.
इन आंकड़ों से केन्द्र सरकार भी हैरान है. जहां जीएसटी लागू होने से पहले देश में 1.5 करोड़ रुपये वार्षिक टर्नओवर वाली कंपनियां ही सेंट्रल एक्साइज टैक्स के दायरे में आती थीं. जीएसटी लागू होने के बाद देश में 20 लाख रुपये वार्षिक टर्नओवर वाली कंपनियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना है.
हालांकि जीएसटी माइग्रेशन कराने के लिए कारोबारियों के पास अभी भी 30 सितंबर तक का समय है. लेकिन सरकार को हैरानी इस बात की है कि आखिर क्यों कारोबारियों ने अभी तक अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है. एक बिजनेस अखबार को टैक्स कंसल्टिंग फर्म डेलॉएट ने संभावना जताई है कि रजिस्ट्रेशन की इस गति से संभव है कि जीएसटी माइग्रेशन में कंपनियों के वेरीफिकेशन प्रक्रिया में कुछ दिक्कत हो. अथवा कारोबारियों को नया कानून समझने में कोई दिक्कत हो रही है.
वहीं, जीएसटीएन के नए आंकड़ों के मुताबिक सर्विस टैक्स के जीएसटी माइग्रेशन में इतनी दिक्कत नहीं है. अभी तक सर्विस टैक्स अदा करने वाली 60 फीसदी कंपनियों ने अपना जीएसटी रजिस्ट्रेशन करा लिया है. हालांकि सर्विस टैक्स के मामले में भी सरकार को अधिक रफ्तार की उम्मीद थी.
जीएसटीएन आंकड़ों के मुताबिक जीएसटी से पहले देश में सर्विस टैक्स अदा करने वाली 1,087,270 इकाइयां थी. अभीतक 6,54,570 कंपनियों ने अपनी माइग्रेशन प्रक्रिया को पूरा कर लिया है.
गौरतलब है कि सेंट्रल एक्साइज की तर्ज पर सरकार के लिए सर्विस टैक्स भी परेशानी का सबब है. जीएसटी लागू होने के बाद देश में सर्विस टैक्स के लिए कंपनियों का न्यूनतम वार्षिक टर्नओवर 20 लाख रुपये है.