त्रयोदशी व्रत के नाम से प्रसिद्ध प्रदोष व्रत इस बार 3 दिसंबर को है। प्रदोष व्रत तिथि 2018 में माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाएगी। पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ और लम्बी आयु की प्राप्ति होती है। ये भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) मंगलवार को हो रहा है जिसे भौम प्रदोष व्रत कहलाता है।
Bhaum Pradosh 2018: भौम प्रदोष व्रत विधि, कथा और आरती
शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत साल में कई बार होता है जिसके दिनों के अनुसार प्रभाव और फल होते हैं। इस बार हम आपको प्रदोष व्रत के फल के बारे में बताएंगे। प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी व्रत ही प्रदोष व्रत होता है। यह व्रत प्रदोष काल में होते हैं। अब आपको बता दें कि सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का जो समय होता है उसे ही प्रदोष काल कहा जाता है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत के फल के महत्व को देखकर ही इसे लोग भक्ति भाव से करते हैं। इसलिए हम आपको दिन के अनुसार अलग-अलग प्रदोष व्रत और उनके लाभ बता रहे हैं….
प्रदोष व्रत फल और लाभ-
- रविवार को के प्रदोष व्रत से आयु में वृद्धि होती है।
- सोमवार के दिन के प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम कहा जाता है। सोम प्रदोष से मनोकामनाओं की पूर्ती होती है।
- मंगलवार के दिन होने प्रदोष व्रत को भौम प्रदोषम कहा जाता है। भौम प्रदोष व्रत रखने से रोगों से मुक्ति मिलती है और सेहत अच्छी रहती है। भौम प्रदोष व्रत से कैंसर, टीबी और शुगर जैसी बड़ी समस्याओं में भी लाभ मिलता है।बुधवार के दिन वाला प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की कामना सिद्ध होती है, इसके भी अति लाभ बताए गए हैं।
- बृहस्पतिवार यानि गुरूवार का प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं का नाश होता है, विरोधी पक्ष से लड़ने के लिए यह व्रत करें। शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत करने से सौभाग्य प्राप्ति होती है, इस व्रत से दांपत्य जीवन में सुख मिलता है।
- शनिवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम कहा जाता है, इस प्रदोष व्रत से संतान प्राप्ति होती है।
- अतएव लोगों को अपनी कामना अनुसार प्रदोष व्रत करना चाहिए। इससे आपके जीवन में सभी कार्य सिद्ध होंगे। भोलेनाथ की कृपा बनी रहेगी और प्रदोष दोष दूर होगा।