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2019 से पहले पांच राज्यों में हुए चुनाव का लेखा जोखा, राहुल ने 77 जनसभाओं को किया संबोधित और पीएम मोदी ने की 32 रैलियां…

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 से पहले सेमीफाइनल माने जा रहे पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के परिणाम को जानने की बेसब्री न सिर्फ राजनीतिक पार्टियों को है, बल्कि आम लोगों में भी है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में वोटिंग का दौर खत्म है और वहां के उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम मशीनों में कैद है, हालांकि, अभी भी दो राज्यों मसलन, राज्सथान और तेलंगाना में वोटिंग होना है, जहां 7 दिसंबर को वोट जाले जाएंगे. 2019 से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखे जाने वाले इस चुनाव के लिए कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर है. 2014 के बाद मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से कमोबेश लगातार हार का मुंह देख रही कांग्रेस के लिए जीत की पटरी पर लौटने का वक्त है, तो वहीं बीजेपी जीत का लय कायम रखना चाहती है. इन पांच राज्यों के लिए राहुल गांधी और पीएम मोदी ने पूरी ताकत झोंकी और अपनी-अपनी पार्टियों के पक्ष में वोट जुटाने के लिए जमकर रैलियां कीं.

पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव में हुई रैलियों पर नजर डालें तो पीएम मोदी ने करीब 32 रैलियां की हैं, वहीं राहुल गांधी ने 77 जनसभाओं को संबोधित किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार 5 राज्यों में होने हो रहे विधानसभा चुनावों सबसे ज्यादा रैलियां राजस्थान में की. पीएम मोदी ने राजस्थान में 12 सभाओं को संबोधित किया. अगर आंकड़ों पर गौर करें तो पीएम मोदी ने राजस्थान में 12, मध्यप्रदेश में 10, छत्तीसगढ़ में 4, तेलंगाना में 5 और मिजोरम में एक रैली को संबोधित किया. बता दें कि मध्य प्रदेश में 230 सीटें, राजस्थान में 200 सीटें, छत्तीसगढ़ में 90, तेलंगाना में 119 में और मिजोरम में 40 सीटें हैं. यानी पांच राज्यों के कुल विधानसभा सीटों की संख्या 679 सीटें हैं. हालांकि, रैलियों के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी काफी आगे रहे हैं. राहुल गांधी ने पांच राज्यों के लिए करीब 77 रैलियों को संबोधित किया. यह पीएम मोदी की रैलियों से दोगुने से भी अधिक है. यानी राहुल गांधी के लिए इन पांच राज्यों में कांग्रेस के लिहाज से करो या मरो वाली स्थिति है. यही वजह है कि राहुल ने ताबड़तोड़ रैलियां कीं. मिजोरम और तेलंगाना को अलग रख भी दें तो राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक रैलियां कीं. राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में 21, राजस्थान में 20, छत्तीसगढ़ में 21 , तेलंगाना में 14 और मिजोरम में 2 रैलियों को संबोधित किया. अगर पिछले विधानसभा चुनावों से पीएम मोदी की रैलियों की तुलना की जाए तो ऐसा लगता है कि इस बार पीएम मोदी ने उस तरह से चुनाव में जान नहीं फूंकी है, जैसे उन्होंने गुजरात में फूंका था.

पीएम मोदी द्वारा पांच राज्यों किए गए कुल चुनावी रैलियों की संख्या गुजरात चुनाव में हुई रैलियों की संख्या से भी कम है. यानी पीएम मोदी ने इन पांच राज्यों में गुजरात से भी कम जनसभाएं की हैं. गुजरात में 182 विधानसभा सीटों के लिए पीएम मोदी ने 34 जनसभाओं को संबोधित किया था. इसका मतलब है कि बीजेपी गुजरात में अपने आपको जितना असुरक्षित मान रही थी, उतना इन पांच राज्यों में नहीं मान रही है. यानी बीजेपी को उम्मीद है कि ये पांच राज्य वह जीत ही लेंगे. हालांकि, राहुल गांधी ने गुजरात में पीएम मोदी से काफी कम रैलियों को संबोधित किया था. राहुल गांधी ने गुजरात में करीब 39 जनसभाओं को संबोधित किया था. यानी स्पष्ट है कि गुजरात में बीजेपी ने पीएम मोदी के सहारे सत्ता बचा ली. लेकिन जिस तरह से इन पांच राज्यों में राहुल गांधी ने पीएम मोदी से भी अधिक ताबड़तोड़ रैलियां की हैं, उससे यह स्पष्ट है कि राहुल ने गुजरात के परिणाम से सबक ली है और ताबड़तोड़ रैलियां कर कांग्रेस के पक्ष में हवा का रुख करने की कोशिश की है. हालांकि, गुजरात में पीएम मोदी की रैलियों से राहुल ने ज्यादा ही रैलियां की थी. खैर, जब 11 दिसंबर को चुनाव के परिणाम आएंगे तो तस्वीर साफ हो जाएगी कि आखिर राहुल गांधी की इन चुनावी रैलियों का असर हुआ या नहीं, या फिर पीएम मोदी कम रैलियों में ही बाजी मार गए.

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