अहमद पटेल हार जाएंगे और अमित शाह की इससे बड़ी जीत और क्या हो होगी. गुजरात में कांग्रेस के कुल छह विधायक इस्तीफ़ा दे चुके हैं और कांग्रेस ने अपने बाक़ी विधायकों को राज्य से बाहर भेज दिया है. कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर गुजरात में कांग्रेस के विधायकों को लालच देकर बहलाने का आरोप लगाया है. इस सिलसिले में एक शिकायत के साथ कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल कल चुनाव आयोग भी पहुंचा.
कांग्रेस में मची उठापटक की असली वजह
शंकर सिंह वाघेला तकरीबन दो साल से कांग्रेस के हाईकमान को समझाने की कोशिश कर रहे हैं.
उनका कहना था कि पिछले विधानसभा चुनाव में 2012 में 28 सीटों पर कांग्रेस ने आख़िरी 48 घंटों में अपने उम्मीदवार बदले थे.
बाद में नतीजों के बाद कांग्रेस के पास कुल 58 सीट थी. इसमें 28 सीट और जोड़े जाते हैं तो यह तकरीबन 90 के पास हो जाते हैं.
तो उनका कहना था कि पहले से यह फ़ैसला होना चाहिए ताकि तैयारी के लिए समय मिले.
राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि यह कांग्रेस के लिए माकूल होता क्योंकि गुजरात में सिर्फ़ कांग्रेस और बीजेपी यही दोनों दल हैं.
उस वक्त शंकर सिंह वाघेला की बात सुनी नहीं गई फिर चाहे कोई भी वजह रही हो. पिछले 33 साल से कांग्रेस गुजरात में चुनाव जीतकर सीधे सत्ता में नहीं आई है.
यह एक संयोग है कि गुजरात में कांग्रेस के कमजोर नेता रहे.
अहमद पटेल सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार हैं इसलिए उनका बड़ा प्रभाव रहा है.
शंकर सिंह वाघेला ने बहुत वक्त बीजेपी में गुजारा है. वो जनसंघ और संघ में रहे हैं. उनके निकलने के साथ ही नेताओं के निकलने का सिलसिला शुरू हो गया है. बीजेपी तो इसी ताक में बैठी थी.
पिछले दो दिनों के अंदर तीन-तीन मतलब कुल छह विधायक जा चुके हैं. उनमें से एक को तो बीजेपी ने राज्यसभा का उम्मीदवार भी बना दिया. यह बहुत साफ रणनीति अमित शाह ने अहमद पटेल को हराने के लिए बनाई है.
यह बीजेपी के लिए एक तरह से हौसला बढ़ाने वाला होगा कि उन्होंने कांग्रेस के इतने कद्दावर नेता को हरा दिया.
अब कांग्रेस के पास 57 में से सिर्फ़ 51 विधायक रह गए हैं. अहमद पटेल को 46 वोट चाहिए जीतने के लिए. इसलिए अगर पांच या छह और चले जाते हैं तो फिर उनके लिए राज्यसभा की सीट जीतनी मुश्किल होगी.
अगर अहमद पटेल यह चुनाव हार जाते हैं तो यह कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार की हार होगी. यह कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा धक्का होगा.
यह अब तक कांग्रेस को मिल रहे धक्कों में सबसे गहरा धक्का होगा.
जिस तरह से गुजरात नरेंद्र मोदी का गढ़ माना जाता है उसी तरह कांग्रेस के अंदर अहमद पटेल का गढ़ भी गुजरात को ही माना जाता है.
शंकर सिंह वाघेला जो चाहते थे वो नहीं हुआ तो इसकी सबसे बड़ी वजह अहमद पटेल को माना जाता है.
अब विडंबना देखिए कि अहमद पटेल की राज्यसभा की सीट का भविष्य शंकर सिंह वाघेला के हाथ में है.
माना जाता है कि अभी भी पांच-छह आदमी शंकर सिंह वाघेला के कांग्रेस के अंदर बने हुए हैं.