विश्वासमत से पहले ही बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के साथ 15 मई को विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद कर्नाटक में शुरू हुआ सियासी ड्रामा खत्म हो गया है.
लखनऊ: 15 मई को आए चुनाव नतीजों के साथ बीजेपी कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन वो बहुमत का आंकड़ा छू नहीं सकी. 222 में से बीजेपी को 104 सीटों पर ही जीत मिली. लेकिन राज्यपाल वजूभाई वाला ने साधारण बहुमत से 8 सीटें कम होने के बावजूद बीजेपी के येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री की शपथ दिला दी थी.
राज्यपाल ने येदियुरप्पा को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 15 दिनों का वक़्त दिया था. लेकिन इसके ख़िलाफ़ कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और आधी रात को इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसके बाद शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि येदियुरप्पा को 19 मई को शाम चार बजे ही बहुमत साबित करना होगा.
इसके बाद राज्यपाल ने बीजेपी विधायक केजी बोपैया को कर्नाटक विधानसभा का प्रो-टेम स्पीकर बनाया लेकिन कांग्रेस इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ भी सुप्रीम कोर्ट गई. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला दिया कि केजी बोपैया कर्नाटक विधानसभा के प्रो-टेम स्पीकर बने रहेंगे.
शाम साढ़े तीन बजे जब लंच के बाद सदन की कार्रवाई शुरू हुई तो येदियुरप्पा ने 15 मिनट का भाषण दिया जिसके अंत में बिना शक्ति परीक्षण उन्होंने इस्तीफा दे दिया. येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस सरकार बनाने का दावा पेश करेगी. बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस को तोड़ना चाहती थी. क्या क्या कोशिश नहीं किए. लेकिन केंद्र सरकार, बीजेपी नेताओं के सभी प्रलोभनों को नकारते हुए हमारे सभी विधायक साथ बने रहे.साथ ही इस मामले में त्वरित कार्यवाही के लिए हम सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देते हैं.
इतना ही नहीं हमारे कुछ विधायकों को अगवा कर लिया गया. उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने बंधक बना कर रखा. लेकिन वो किसी तरह सदन में पहुंचने में कामयाब हुए. वो पार्टी के साथ बने रहे. कांग्रेस, जेडीएस के किसी भी विधायक ने दल बदलने की कोशिश नहीं की. बीजेपी के 104 की तुलना में हमारे पास 117 विधायक हैं. हम कांग्रेस और जेडीएस के साथ ही बीएसपी उम्मीदवार समेत सभी निर्दलीय विधायकों को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने केंद्र सरकार और उनके लोगों के द्वारा दिए गए सभी प्रलोभनों को नकारते हुए एकजुट रहे.