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“100“ नम्बर की गिरफ्त में योगी की “कुर्सी”

(धर्मेंद्र सिंह )लखनऊ : गोरखपुर ,जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संसदीय क्षेत्र होने के साथ साथ उनका गृह नगर भी है। इस नाते यहाँ अच्छा या बुरा ,जो कुछ भी होगा ,वो निश्चित तोर पर देश दुनिया के लिए रोचक “न्यूज़ मेटेरियल “साबित होगा। वार्ड नम्बर 100 ,जिसे पूर्वांचल की भाषा में “मनहूस और मौत का कुआं” भी कहा जाता है। इस वार्ड की की खासियत ये है कि इसमें “मस्तिष्क ज्वर” के रोगी भर्ती किये जाते हैं और भर्ती हुए बच्चों में ऐसे 20 फीसदी ही बच्चे भाग्यशाली होते हैं, जो मौत के दरवाजे से वापस तो लौट आते हैं लेकिन जिंदगी भरके लिए अपाहिज हो जाते हैं और अपनी बची हुयी जिंदगी को बूढ़े माँ बाप के कन्धों पर सवार होकर जीते हैं। करीब तीस वर्षों से फैले इस महारोग ने अभी तक पचास हजार से अधिक बच्चों और युवकों को निगल लिया है लेकिन सरकारें सिर्फ चुनावी वादे से अधिक नहीं बढ़ पायी हैं।

केंद्र में जब कांग्रेस की सरकार थी तब योगी ने बतौर सांसद होने के नाते सदन में कई बार गोरखपुर में फैले इस महारोग से निपटने के लिए तीखी नोंकझोंक तक की थी लेकिन ताज्जुब तो इस बात का है योगी इस समय मुख्यमंत्री हैं और इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी घटना स्थल पर नहीं पहुंचे ,जब दिल्ली से कांग्रेस और अन्य दलों के नेता गोरखपुर पहुँचने लगे तब भाजपाइयों के कान खड़े हुए और, योगी ने सिद्धार्थनाथ सिंह और आशुतोष टंडन को भेजकर सारी रिपोर्ट कलेक्ट कर उनतक पहुँचाने के लिए निर्देश दिए। इस दर्दनाक हादसे ने भाजपा और मुख्यमंत्री की सम्बेदनहीनता की पोल खोल दी है। इस मामले में एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी पर तंज कस्ते हुए कहा की जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था तो मोदी जी ने 5 मिनट के अंदर बधाई सन्देश भेज दिया था लेकिन पीएम मोदी ने अभी तक इस दर्दनाक घटना पर अफ़सोस भी जाहिर नहीं किया। इससे भाजपा की कार्यशैली और जनता के प्रति ख़राब मानसिकता का पर्दाफास हुआ है। गोरखपुर घटना को लेकर लगभग सभी दलों ने सरकार के ऊपर सीधे तौर पर हत्या का इल्जाम लगते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफा माँगा है।

अब जरा इस घटना पर गौर करते हैं।गोरखपुर के डीएम ने सीधे तौर पर ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत होना कबूल किया है तो वहीँ सरकार के मंत्री इस मामले में लीपापोती कर मामले को दबाने में जुटे हैं.दरअसल सरकार इस मामले को सामान्य मौत बताकर अपने “सिस्टम” पर उंगली खड़ा कर विपक्ष की निगाह में फसना नहीं चाहती हैं। ये तो अब सभी जान चुके हैं कि ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाले ठेकेदार का पिछले कई महीनों से करीब 70 लाख रुपया बकाया चल रहा था जिसके लिए उसने कई बार भुगतान के लिए गुहार भी लगायी थी लेकिन किसी ने नहीं सुनी ,इस मामले में एक खुलासा और हुआ है कि ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता फर्म का मालिक समाजवादी पार्टी से जुड़ा हुआ है इसीलिए उसको जानबूझकर भुगतान नहीं किया गया। मतलब साफ है कि योगी जी चुन चुन कर अखिलेश के लोगों से बदला लेने के लिए उतारू हैं फिर चाहे जनता का इसमें भले ही नुकसान क्यों ना हो जाय.और नुकसान हुआ भी तो इतना बड़ा जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती है। 60 बच्चों के माँ बाप के चिराग हमेशा के लिए बुझ गए जिम्मेदारी अब कौन लेगा। हालांकि इस मामले में शनिवार शाम को कालेज के प्रिंसिपल ने इस घटना की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया है. तो वहीँ ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता फर्म का मालिक फरार बताया जा रहा है। निश्चित रूप से उसकी गिरफ़्तारी होगी, ऐसा संकेत शासन की ओर से मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी को सत्ता में आये पांच महीने हो रहे लेकिन अभी तक कोई ऐसा अभियान या स्कीम नहीं ला पाए जो सीधे तौर पर जनता का भला कर सके। यही नहीं बजट पेश करते हुए भी आपने शिक्षा, और स्वास्थ्य में कोई खास दिलचस्पी नहीं ली। आपने अखिलेश को सीधे तौर पर नौसिखिये कहा था लेकिन आपतो। ..
अब सरकार ने पांच सदस्यीय जांच कमेटी बना दी, जो कुछ समय के अंदर एक रिपोर्ट पेशकर छोटों पर गाज गिराकर इस केस को बंद कर देगी। इस मामले में अगर सबसे ज्यादा दोषी है तो वे हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ,क्योंकि अभी कुछ दिन पहले ही योगी जी पूरे लाव लश्कर के साथ बीआरडी मेडिकल कालेज देखने गए थे और वहां से वापसी के समय कहा था की सब कुछ ठीकठाक चल रहा है। इससे साफ होता है कि योगी जी को यतो सिस्टम बरगला रहा है या फिर योगी जी भी सिस्टम के वशीभूत हो गए हैं। बरना एक हफ्ते के अंदर ही सारी व्यवस्थाएं चकनाचूर कैसे हो गयीं ,ये सोचने को मजबूर करती है। विपक्ष की बात छोडो ,खुद भाजपा के सांसद साक्षी महाराज ने इस घटना को सामान्य मौतों की जगह इसे “नरसंहार “का दर्जा दिया है। अब सरकार बताये कि आखिर दुनिया चिल्ला छीलकर कह रही है कि ये सामान्य मौतें नहीं सामूहिक हत्याएं है तो फिर कैसी जांच ? कुल मिलकर योगी चारो तरफ से कठघरे में फस चुके हैं। जिस वार्ड नम्बर” 100“ ने अभी तक तीस सालों में लगभग पचास हजार से ज्यादा लोगों और बच्चों को निगला है वही वार्ड योगी की ”कुर्सी” हिलाने के लिए काफी है।

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