लखनऊ/हैदराबाद: समय पूर्व चुनाव की अटकलों के बीच आज तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी टीआरएस ने आज एक बड़ी रैली का आयोजन किया है. रैली से पहले संभावना जताई जा रही है कि 6 महीने पहले ही तेलंगाना में विधानसभा भंग कर चुनाव का एलान हो सकता है. ऐसे में मुख्यमंत्री केसीआर के भाषण पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.
रैली के लिए रंगारेड्डी जिले सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य के हर जिले से इस रैली में करीब 25 लाख लोग पहुंच सकते हैं. टीआरएस ने इस रैली को प्रगति निवेदन सभा का नाम दिया है. इस रैली की आयोजन 2000 एकड़ की जमीन पर होगा. जनसभा से पहले आज दोपहर एक बजे कैबिनेट की बैठक भी होनी है. रैली के आयोजन को देखते हुए कहा जा रहा है कि राज्य में इतने ज्यादा लोग आज तक इकट्टठे नहीं हुए हैं.
मुख्यमंत्री केसीआर का कार्यकाल मई 2019 में पूरा हो रहा है, ऐस में तेलंगाना में चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ कराए जाने की संभावना है. जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री नहीं चाहते कि लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ हो. वे इस साल के आखिर में चार राज्यों में होने वाले चुनावों के साथ ही तेलंगाना में भी चुनाव करवाना चाहते हैं. बता दें यह रैली शाम चार बजे के करीब शुरू होगी.
कांग्रेस ने कहा- विपक्ष की सक्रियता से डरे राव
राज्य में समय से पहले विधानसभा भंग करने और चुनाव कराने को लेकर कांग्रेस ने कहा कि मुख्यमंत्री राव विपक्ष की बढ़ती सक्रियता से डर गए हैं। कांग्रेस ने कहा कि विपक्षी पार्टियां एक साथ आ रहीं हैं। इसी के चलते टीआरएस को अगले चुनाव में हारने का डर है। इसी वजह से वे राज्य में जल्दी चुनाव कराना चाहते हैं। कांग्रेस नेता उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि जब भी राव चाहें तो पार्टी चुनाव के लिए तैयार है, चाहे ये वक्त से पहले हो या तय वक्त पर। उन्होंने कहा कि कांग्रेस चुनाव आयोग के फैसले के मुताबिक चलेगी और ये भी निवेदन करेगी की चुनाव से पहले मतदाता सूची संशोधित हो जाए।
भाजपा ने कहा- ऐसा हुआ तो राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करेंगे
भाजपा का मानना है कि मुख्यमंत्री राव तय समय से पहले चुनाव में नहीं जाएंगे। भाजपा प्रवक्ता कृष्णा सागर राव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अभी सरकार के 8 महीने बचे हैं, ऐसे में तय समय से पहले चुनाव में जाने की राव नहीं सोचेंगे। हालांकि, साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर राव ऐसा करते हैं तो वो राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करेंगे क्योंकि भाजपा तो पहले से ही देश में समानांतर चुनाव चाहती है।