अशाेक यादव, लखनऊ। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने प्रदेश के राज्यपाल के बंडारू दत्तात्रेय के साथ कथित हाथापाई के आरोप में विपक्षी कांग्रेस के पांच विधायकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है। इन विधायकों को पूरे बजट सत्र के लिये निलंबित कर दिया गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि शुक्रवार अपराह्न तीन बजे यह प्राथमिकी दर्ज करायी गयी। उन्होंने कहा कि वह सोमवार को शिमला पहुंचने के बाद मामले की विस्तृत जानकारी देंगे।
शनिवार को इससे पहले विधानसभा सचिव यश पॉल शार्मा ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ने प्रदेश के पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू को कांग्रेस विधायकों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिये एक औपचारिक शिकायत सौंपी है। इस बीच पुलिस पुलिस ने भी मामले की कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी है। प्रदेश पुलिस प्रमुख ने कहा है कि विधानसभा का सत्र चल रहा है और वह इस बारे में केवल विधानसभा अध्यक्ष को सूचित कर सकते हैं।
शुक्रवार राज्यपाल जब राजभवन के लिये प्रस्थान कर रहे थे तो यह घटना विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय के बाहर को हुयी। बजट सत्र के पहले दिन कांग्रेस की ओर से सदन में हंगामा किये जाने के बाद राज्यपाल ने अपना अभिभाषण पूरा नहीं पढ़ा और उनका शेष अभिभाषण पढ़ा हुआ मान लिया गया। घटना के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री के अलावा कांग्रेस के विधायकों- हर्ष वर्धन चौहान, सतपाल रायजादा, सुंदर सिंह एवं विनय कुमार को पूरे बजट सत्र के लिये निलंबित कर दिया। विधानसभा का बजट सत्र 20 मार्च तक चलेगा।
इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सदन में एक प्रस्ताव पेश किया था। विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने कहा था कि विपक्षी सदस्यों ने राज्यपाल की पीठ पर उनके अभिभाषण की कॉपी मारी। उन्होंने कहा था कि उनलोगों ने राज्यपाल की कार के बोनट पर भी प्रहार किया। इस मसले पर प्रतिक्रिया देते हुये निलंबित कांग्रेस विधायक चौहान ने शुक्रवार को बताया कि वे लोग अध्यक्ष के कार्यालय के बाहर इंतजार कर रहे थे और राज्यपाल से यह जानना चाह रहे थे कि उन्होंने अपना भाषण छोटा क्यों किया है लेकिन उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी गयी।
कांग्रेस विधायक ने आरोप लगाया कि दरअसल विधानसभा उपाध्यक्ष हंस राज ने विधायकों के साथ हाथापाई की। किंतु इन आरोपों से संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने खारिज कर दिया, जिनका कहना था कि कांग्रेस विधायकों की मंशा वहां हंगामा करने की थी। चौहान ने बताया कि उनकी मंशा राज्यपाल के साथ हाथापाई करने की नहीं थी। उन्होंने कहा, ”अगर हमारे खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाती है तो हम जमानत के लिये अदालत नहीं जायेंगे और गिरफ्तार होना पसंद करेंगे।”