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हार्दिक के बाहर होने के बाद विजय शंकर को ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड दौरे में मिली जगह

नई दिल्ली: हरफनमौला विजय शंकर को श्रीलंका में खेले गए निदाहस ट्रॉफी टी20 अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के फाइनल में उस समय भारतीय प्रशंसकों की आलोचना झेलनी पड़ी थी जब वह मुस्ताफिजुर रहमान की गेंदों को समझने में विफल रहे थे लेकिन मैच फिनिश के तौर पर उनकी उपयोगिता पर राहुल द्रविड़ के विश्वास जताने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा और भारतीय टीम में उन्हें दूसरा मौका मिला. तमिलनाडु का 27 साल के इस हरफनमौला को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दौरे पर टीम का हिस्सा बनने का मौका मिला है. विजय शकंर को यह मौका हार्दिक पंड्या और केएल राहुल के ऑस्ट्रेलिया दौरे से बाहर होने के बाद मिला. उनके अलावा इस साल रणजी ट्रॉफी में बरसने वाले पंजाब के शुबमन गिल को भी ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड दौरे के लिए टीम में जगह मिली है. पिछले साल फरवरी में बांग्लादेश टीम के शानदार गेंदबाजी आक्रमण के सामने बड़े मैचों में उनकी मानसिकता को लेकर सवाल उठे थे.

शंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि मानसिक तौर पर मैं ज्यादा मजबूत हुआ हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि मैं करीबी मैचों को खत्म कर सकता हूं. भारत ए के न्यूजीलैंड दौरे ने मुझे मेरे खेल को अच्छे से समझने में मदद की. उन्होंने कहा कि ए टीम के कोच राहुल द्रविड़ ने न्यूजीलैंड में उन्हें पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजा जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ. भारत के लिए पांच टी20 मैच खेलने वाले शंकर ने कहा कि राहुल सर (द्रविड़) ने मुझे कहा था कि उन्हें मेरी मैच खत्म करने की क्षमता पर भरोसा है. मुझे लगता है कि पांचवें क्रम पर बल्लेबाजी करना मेरे खेल के अनुकूल है क्योंकि मैं दो मैचों में नाबाद रहा था. उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड में 300 से ज्यादा का लक्ष्य का पीछा करते हुए मैंने 87 रन बनाए थे जिससे मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ा. एक अन्य मैच में लक्ष्य का पीछा करते समय मैंने 60 रन बनाए थे. इन मैचों में मैं जब भी पांचवें क्रम पर बल्लेबाजी करने उतरा उस समय टीम को जीत के लिए 150-160 रन की जरूरत थी और यह जरूरी था कि मैं अच्छी पारी खेलूं और फिनिशर की भूमिका निभाऊं.

और विजय शंकर ने ये पारियां खेल खुद में राहुल के भरोसे को सही साबित किया. इस हरफनमौला खिलाड़ी ने कहा कि वह बल्लेबाजी के साथ गेंदबाजी पर भी बराबर ध्यान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं खेल के दोनों पहलुओं पर बराबर ध्यान देता हूं. विजय हजारे ट्रॉफी के ज्यादातर मैचों में मैंने अपने 10 ओवर के कोटा को पूरा किया. रणजी ट्राफी में भी इस सत्र में मैंने काफी गेंदबाजी की. सबसे अच्छी बात यह है कि मैंने जो मेहनत की है उससे अब मानसिक तौर पर ज्यादा मजबूत महसूस कर रहा हूं. पंड्या के टीम से बाहर होने के कारण शंकर को मौका मिला लेकिन उन्हें इस बात की परवाह नहीं. उन्होंने कहा कि मैं विश्व कप और दूसरी चीजों के बारे में नहीं सोच रहा हूं. जब आप ऐसी बाते सोचते हैं तो खुल कर नहीं खेल सकते. मुझे तैयार रहना होगा और अगर मौका मिलता है तो उसे लपकना होगा.

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