नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी ने हरियाणा की 10 सीटों में से 7 पर जीत दर्ज की थी. 2 सीटें इंडियन नेशनल लोकदल और 1 सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. इस चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ समझौता किया था. 2019 के लिए अभी बातचीत जारी है. वहीं जींद में लोकसभा उपचुनाव के दौरान बीएसपी और आईएनएलडी के बीच समझौता तो हुआ लेकिन इस चुनाव में बीजेपी के जीतने के बाद ही दोनों की दोस्तों परवान नहीं चढ़ पाई. हालांकि आईएनएलडी के नेता ओम प्रकाश चौटाला ने समान विचारधारा वाली पार्टी के साथ गठबंधन करने के संकेत दिए हैं. फिलहाल 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बाद राज्य में समीकरण बदले से नजर आते हैं. हरियाणा में जातिगत समीकरण चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएंगे.
जाट आरक्षण आंदोलन की आग में झुलस चुकी बीजेपी अब पंजाबी और बनिया वोटरों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है. वहीं इस बार जाट बैंक कांग्रेस, आईएनएलडी और नई पार्टी जननायक जनता पार्टी के बीच बंटा हुआ नजर आ रहा है. आम जनता राज्य सरकार के कामकाज से खुश नहीं है हालांकि गुस्से जैसी बात नजर नहीं आ रही है. बेरोजगारी और भ्रष्टाचार राज्य में अब भी बड़ा मुद्दा है. इन सब के बावजूद जातिगत समीकरण ही सब पर हावी हैं. जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में करीब 30 लोगों की मौत हुई थी और 300 लोग पूरे हरियाणा में घायल हुए थे. बाद में राज्य सरकार ने 10 फीसदी आरक्षण जाटों सहित 5 अन्य जातियों को भी देने का ऐलान कर दिया. बाद में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार ने इस फैसले पर रोक लगा दी. इसके बाद जाट कई बार विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं. वहीं कांग्रेस सहित विपक्ष अंदरुनी झगड़ों में बंटा हुआ और आईएनएलडी भी दो भागों में बंट चुकी है.