हरियाणा : जून के महीने में मानसून ने हरियाणा के लोगों को निराश किया है। अच्छी बारिश की बाट जोह रहे किसानों को अब मानसून से उम्मीदें हैं कि राहत मिले। हालांकि केरल में देरी से मानसून के आने और सुस्त प्रगति के कारण प्रदेश में मानसून पहुंचने में एक सप्ताह की देरी हो सकती है। इससे पहले प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में एक जुलाई से तीन जुलाई तक गरज-चमक के साथ छिटफुट बारिश की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक, मानसून वीरवार को गुजरात के आधे हिस्से में भी सक्रिय हो गया है। यहां हरियाणा की ओर मानसून के बढ़ने के आसार हैं। हालांकि देश में मानसून का प्रदर्शन अब तक निराशाजनक ही रहा है। मानसून सीजन में अब तक देश में 36 प्रतिशत कम बारिश हुई है, वहीं करनाल में इस माह अब तक मात्र 18.3 एमएम ही वर्षा हुई है। ऐसे में कमजोर होकर आ रहे मानसून से सीजन में कम बारिश की भरपाई की उम्मीद कम है।
इससे प्रदेश में खेती-किसानी और अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। पश्चिमी विक्षोभ के चलते वीरवार को कुरुक्षेत्र, करनाल समेत कई क्षेत्रों में बूंदाबांदी हुई। उधर, हिसार में सुबह से ही बादल छाए रहे। हल्की बादलवाही और पूर्वाई के कारण दिन के तापमान में एक डिग्री सेल्सियस से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई, जिससे लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत मिली। मौसम विभाग ने 01 जुलाई से 03 जुलाई के बीच आंशिक बादल, कहीं-कहीं धूल भरी हवाएं चलने और कहीं-कहीं बारिश की संभावना जताई है। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के मुताबिक वर्ष 2000 के बाद वर्षा का तानाबाना बिगड़ गया। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डीएस बुंदेला का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्रकृति का तानाबाना बिगड़ रहा है। इससे बचने के लिए पर्यावरण प्रदूषण के कारकों पर लगाम कसनी होगी। धरती पर हरियाली और जंगल बढ़ाने होंगे।