लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा राज्य कर्मचारियों की रिटायरमेंट की आयु 60 साल को अमान्य करने के आदेश ने उत्तर प्रदेश के लाखों राज्य कर्मचारियों की चिन्ता बढ़ा दी है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने आज रिटायरमेन्ट के मसले में राज्य सरकार द्वारा समुचित तथ्य न रखने का आरोप लगाते हुये कहा कि सरकार की इस गैर जिम्मेदारी का खामियाजा प्रदेश के कर्मचारी कतई नही भोगेगें। सरकार को आगामी सत्र में तत्काल इस मुद्दे पर विधेयक लाकर अपना रूख स्पष्ट करना चाहिये। उन्होंने कहा कि राज्य कर्मचारी संगठनों द्वारा लम्बे अरसे से चल रही 62 वर्ष की सेवानिवृत्ति की अवधि बढ़ाने की मांग के चलते सरकार ने ऐसा निर्णय लिया है। उन्होंने याद दिलाया कि हरियाणा के राज्य कर्मचारियों द्वारा 60 से 62 वर्ष की सेवानिवृत्ति अवधि की मांग को लेकर हुए बड़े आन्दोलन का दमन करने के लिए हरियाणा सरकार भी सत्र में 58 का प्रस्ताव पारित कराकर वहाॅ के कर्मचारियों की 62 वर्ष की सेवानिवृत्ति की मांग को ठण्डा कर चुकी है। तिवारी ने कहा कि आज चालीस से पैतालीस साल की उम्र लोगों को नौकरी मिल रही, ऐसे मे उसकी सेवा कही 18 तो कही मात्र 13 साल की होगी। सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार की कमजोर तथा सोची समझी पैरवी के तहत ऐसा निर्णय आया है। सरकार को चाहिए कि समय रहते इस मामले में तथ्यों के साथ एसएलपी दायर करे और सत्र में विधेयक लाए। उन्होंने याद दिलाया कि हरियाणा के राज्य कर्मचारियों द्वारा 60 से 62 वर्ष की सेवानिवृत्ति अवधि की मांग को लेकर हुए बड़े आन्दोलन का दमन करने के लिए हरियाणा सरकार भी सत्र में 58 का प्रस्ताव पारित कराकर वहाॅ के कर्मचारियों की 62 वर्ष की सेवानिवृत्ति की मांग को ठण्डा कर चुकी है।
सेवानिवृत्ति संबंधी अदालत के फैसले ने बढ़ा दी राज्य कर्मचारियों में बेचैनी
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