नई दिल्ली : स्मार्ट सिटीज को मदद के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने ‘म्यूनि बांड जारी करने के नियमों को उदार किया है। इससे स्मार्ट सिटीज के अलावा शहर योजना एवं आवास विकास कार्य से जुड़ी इकाइयां तथा नगर निगम भी ऋण प्रतिभूतियों के जरिए धन जुटा सकेंगे। सेबी के निदेशक मंडल ने अगस्त मे इस बारे में नियमों को मंजूरी दी थी। करीब पांच साल पहले नियामक ने नगर निकायों द्वरा ऋण प्रतिभूतियों के निर्गम और सूचीबद्धता (आईएलडीएम) नियमन जारी किए थे। उसके बाद से 7 नगर निगम अपनी ऋण प्रतिभूतियां जारी कर करीब 1,400 करोड़ रुपए जुटा चुके हैं। इन्हें ‘म्यूनि बांड’ कहा जाता है। सेबी ने 27 सितंबर को अधिसूचना जारी कर कहा है कि उसने यह मार्ग अब बड़ी संख्या में इकाइयों के लिए खोल दिया है। इनमें सरकार के महत्वाकांक्षी ‘स्मार्ट शहर मिशन’ के तहत स्थापित विशेष इकाइयां (एसपीवी) शामिल हैं। नए नियमों के तहत नियामक ने कई अनिवार्यताओं को समाप्त किया है। मसलन निगरानी एजेंसी की नियुक्ति, विस्तृत परियोजना आकलन रिपोर्ट जमा कराना, अलग से परियोजना क्रियान्वयन प्रकोष्ठ स्थापित करना, 100 प्रतिशत एसेट कवर रखना और संसाधनों का ब्योरा देना। अनिवार्य रूप से राज्य या केंद्र सरकार समर्थन होना शामिल है। नए नियमों के तहत अन्य इकाइयां मसलन शहरी विकास प्राधिकरण और शहर योजना एजेंसियां भी ‘म्यूनि बांड’ जारी कर सकेंगी। ये एजेंसियां स्थानीय निकायों की तरह का कामकाज करने वाली होनी चाहिए।
सेबी ने नियमों में ढील दी, म्यूनि बांड के जरिए धन जुटा सकेंगी स्मार्ट सिटीज
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