नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोहन भागवत के उस बयान की आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा है कि सेना को तैयार होने में 6-7 महीने लगेंगे जबकि संघ के स्वयंसेवकों को दो से तीन दिन ही लगेंगे. राहुल ने कहा, ‘यह उन लोगों का अपमान है जो देश के लिए अपनी जान दे रहे हैं. यह हमारे तिरंगे का भी अपमान है क्योंकि हमारे सैनिक इसको सैल्यूट करते हैं. सेना और शहीदों का अपमान करने पर श्री भागवत जी आपको शर्म आनी चाहिए. वहीं आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा है कि अगर ये बयान किसी दूसरी पार्टी के नेता ने दिया होता तो भाजपाई अब तक उसे पाकिस्तान भेज देते, मीडिया तो फांसी की सज़ा की मांग कर देता, लेकिन बात भागवत की है. ‘हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती’. जबकि बीजेपी अमित शाह का कहना है कि फ़िलहाल उन्होंने सिर्फ़ सोशल मीडिया पर इसे देखा है, डिटेल के बाद वो इस पर बात करेंगे… हालांकि संघ की ओर से मामले में दी गई सफाई में कहा गया है कि मोहन भागवत की ओर से दिए गए बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है. उनके कहने का मतलब था कि परिस्थिति आने पर और संविधान द्वारा मान्य होने पर भारतीय सेना को सामान्य समाज को तैयार करने के लिए 6 महीने का वक्त चाहिए. लेकिन संघ के स्वयंसेवकों को भारतीय सेना तीन दिन में ही तैयार कर लेगी क्योंकि संघ के स्वयंसेवकों का अनुशासन ही ऐसा रहता है. यह सेना के साथ तुलना नहीं है. समाज और स्वयंसेवकों के बीच थी.
इससे पहले जो खबर आई थी कि उसके मुताबिक मोहन भागवत का कहना था कि अगर जरूरत पड़ी तो देश के लिये लड़ने की खातिर आरएसएस के पास तीन दिन के भीतर ‘सेना’ तैयार करने की क्षमता है. छह दिवसीय मुजफ्फरपुर यात्रा के अंतिम दिन सुबह जिला स्कूल मैदान में आरएसएस के स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि सेना को सैन्यकर्मियों को तैयार करने में छह-सात महीने लग जाएंगे, लेकिन संघ के स्वयंसेवकों को लेकर यह तीन दिन में तैयार हो जाएगी.