नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह 2019-20 के बजट में सूचीबद्ध कंपनियों की इस समय चल रहे शेयर पुनर्खरीद कार्यक्रमों पर 20 फीसदी कर के इस बार के बजट में किए गए प्रस्ताव को लागू करने की व्यावहारिता पर गौर करेगा। वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में कहा कि सूचीबद्ध कंपनियों पर इस प्रस्तावित कर का उद्देश्य शेयर पुनर्खरीद को हतोत्साहित करना और निवेश को प्रोत्साहित करना है। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार पहले से जारी शेयर पुनर्खरीद के कार्यक्रमों को प्रस्तावित शुल्क से ‘बचाएगीश्, गर्ग ने कहा कि मैं इस स्थिति में नहीं हूं कि यह कह सकूं कि यह किया जाएगा या नहीं, लेकिन इस पर राजस्व विभाग के साथ विचार विमर्श किया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019-20 के अपने बजट भाषण में प्रस्ताव किया है कि सूचीबद्ध कंपनियों को शेयर वापस खरीदने पर 20 फीसदी का अतिरिक्त कर देना होगा। अभी यह गैर सूचीबद्ध कंपनियों पर लागू हैं। इस कदम के पीछे उद्देश्य सूचीबद्ध कंपनियों की शेयर पुनर्खरीद के जरिए लाभांश वितरण कर (डीडीटी) से बचने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना है। गर्ग ने कहा कि पुनर्खरीद आमतौर पर ऐसी कंपनियों द्वारा की जाती है जिनके पास नकदी तो होती है, लेकिन निवेश के अवसर नहीं। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य यह है कि वे निवेश करें। हमारा मकसद निवेश को प्रोत्साहित करना है। शेयर पुनर्खरीद के जरिये कंपनियां अपने शेयरधारकों को कुछ पूंजी लौटाती हैं। इससे कंपनी के शेयर मूल्य में भी मजबूती आती है। लाभांश वितरण कर ऐसी कंपनियों द्वारा दिया जाता है जो लाभांश के रूप में अपने निवेशकों से मुनाफा बांटती हैं।