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सुलतानपुर सामूहिक हत्याकांड: दोषी को फांसी की सजा से न्याय पर भरोसा

अशाेक यादव, लखनऊ। तारीख- सात अक्टूबर 2015। जगह- पंतनगर टाउन एरिया कोइरीपुर। विवाद- लघुशंका करने से रोकना। घटना- सगे भाइयों समेत चार की चाकू मारकर हत्या और दो को चोट पहुंचाना। दोषी- दो अभियुक्त। सजा – सजा-ए-मौत और उम्र कैद।

चांदा थाना के कोइरीपुर टाउन एरिया के पंतनगर मोहल्ले की इस घटना पर मंगलवार को आया कोर्ट का फैसला कोइरीपुर बाजार वासियों सहित जिसने भी सुना उसको राहत महसूस हुई। कोर्ट पर भरोसा जाहिर किया।

छह अक्टूबर 2015 को पंतनगर टाउन एरिया निवासी सरफुद्दीन के घर के सामने लईक लघुशंका को गया तो घर की औरतों ने विरोध जताया विवाद यहीं से शुरू हुआ। दूसरे दिन लईक ने मामूली कहासुनी के बाद गोश्त काटने वाले लल्लू की दुकान पर पहुंचकर चाकू लिया और उसी से पहले गौहर फिर जौहर, जावेद, अमीना और मोइनुद्दीन पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया।

हमले में उमर ने भी साथ दिया, जो भी उन्हें बचाने दौड़ा उन्हें खून से सना चाकू दिखाकर लईक ने डराया धमकाया। किसी को भी आगे आने पर उसकी भी हत्या की धमकी दी। इससे मोहल्ले के लोग डर कर भाग गए। कुछ ने अपने दरवाजे बंद कर लिए। दुकानदार अपनी दुकान और व्यापार छोड़कर भाग गए। राहगीरों ने रास्ता बदल लिया। भय और आतंक का माहौल इतना फैल गया कि लोग सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा सके।

घटना के समय अलाउद्दीन के पुत्र गौहर अली व जौहर अली तथा जावेद की मृत्यु हो गई जबकि मोइनुद्दीन ने लखनऊ के अस्पताल में दम तोड़ा। सरेआम बीच सड़क पर हुई इस घटना को न्यायाधीश पूनम सिंह ने भय एवं आतंक का पर्याय माना। बचाव पक्ष ने जो तर्क रखे उनमें कहा कि अभियोजन के साक्षी हितबद्ध हैं।

पुलिस की विवेचना में अनियमितता बरते जाने का बात कही गई। 29 अप्रैल 2016 को पूरक केस डायरी पेश कर विवेचना समाप्त की गई। विवेचक ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 307, 504, 506/ 34 का प्रथम दृष्टया साक्ष्य पाते हुए आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। सेशन कोर्ट ने मामला शीघ्र सुनवाई के लिए एफटीसी कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया।

पांच साल तक चले मुकदमे में अभियोजन पक्ष की ओर से वादी सरफुद्दीन, अमीना बानो, हबीब अहमद, सगीर अहमद, अजहरुद्दीन, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर डॉ कौशल किशोर भट्ट एवं लखनऊ के डॉक्टर आरके गौतम, एसआई अजय प्रताप सिंह, निर्भय कुमार सिंह और राणा प्रताप सिंह पेश हुए।

पर, विवेचक की गवाही मुकदमे में नहीं कराई गई। बचाव पक्ष की ओर से हसीना पत्नी मंजूर और स्वतंत्र साक्षी लल्लू पुत्र यामन तथा ताज मोहम्मद ने गवाही दी। अभियोजन पक्ष ने आरोपियों पर हत्या व हमला करने के आरोप को सही बताया। जबकि बचाव पक्ष ने इसे बचाव में की गई कार्रवाई बताया।

दर्दनाक घटना में चाकू से अमीना के सीने और पेट पर हमला किया गया था। न्यायाधीश पूनम सिंह को अमीना ने चोट दिखाया तो वह आश्चर्य चकित रह गईं। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि अमीना पेट की सर्जरी के बाद अपने पेट को एक मांस के लोथड़े के रूप में लेकर जी रही है। यह बहुत ही क्रूर घटना है।

न्यायालय ने अपने 42 पेज में सुनाया फैसला
कोर्ट ने 42 पेज के अपने आदेश में लिखा कि चौपड़ से इंसानों को जानवर की तरह काटना स्पष्ट करता है कि अभियुक्त को इंसान और जानवर में कोई फर्क महसूस नहीं हुआ। ऐसा क्रोधी, क्रूर मानसिकता वाला व्यक्ति(लईक) समाज और परिवार में रहने लायक नहीं है।

उन्होंने लईक पुत्र खलील को मंगलवार को मृत्यु दंड की सजा सुनाई। सह अभियुक्त उमर पुत्र फारुख को शेष पूरा जीवन जेल में बिताने का आदेश दिया। पीड़ित परिवार ने कोर्ट के फैसले को न्याय की जीत बताया।
 

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