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सुरक्षा एजेंसियों ने किया ‘फ्रॉड टू फोन’ नेटवर्क का पर्दाफाश, आठ गिरफ्तार

नई दिल्ली। सुरक्षा एजेंसियों ने ‘फ्रॉड टू फोन’ नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए आठ लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से करीब 300 नए फोन बरामद किए हैं जो उन्होंने चोरी की रकम से खरीदे थे। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। यह गिरोह कई राज्यों में फैला हुआ था।

अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा इस गिरोह के 900 मोबाइल फोन, 1000 बैंक खाते और सैकड़ों एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) और ई-कॉमर्स आईडी की भी पहचान की गई है और जांच जारी है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों ने अब तक करीब 100 बैंक खातों और डेबिट व क्रेडिट कार्ड के लेन-देन पर भी रोक लगाई है।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि कुल मिलाकर ‘फ्रॉड टू फोन’ (एफ2पी) गिरोह के आठ मास्टरमाइंड गिरफ्तार किए गए हैं जिनमें से चार झारखंड के तथा मध्य प्रदेश व आंध्र प्रदेश से दो-दो आरोपी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों के पास से चोरी की रकम से खरीदे गए करीब 300 नए मोबाइल फोन भी जब्त किये गए हैं।

गिरोह के खिलाफ अभियान 18 राज्यों में चला और इसमें 350 लोग शामिल थे। यह अभियान केंद्रीय गृह मंत्रालय की साइबर सुरक्षा शाखा एफसीओआरडी, मध्य प्रदेश पुलिस और कुछ अन्य राज्यों के पुलिस बलों ने विशिष्ट सूचना पर चलाया था। एक अधिकारी ने बताया कि उदयपुर निवासी 78 वर्षीय एक बुजुर्ग ने 11 जून को साढ़े छह लाख रुपये की साइबर धोखाधड़ी की शिकायत गृह मंत्रालय द्वारा संचालित साइबरसेफ ऐप पर दी थी।

एफ2पी कॉल करने वाला झारखंड से काम कर रहा था। जांच के दौरान सामने आया कि रकम सीधे तीन एसबीआई कार्ड में जमा हुई, जिनका इस्तेमाल फ्लिपकार्ट से 33 चीन निर्मित श्योमी पोको एम3 मोबाइल फोन खरीदने के लिये किया गया। कुछ ही मिनटों के अंदर यह सूचना प्राप्त कर ली गई कि मध्य प्रदेश के बालाघाट में यह फोन किस पते पर मंगाए गए और बालाघाट के पुलिस अधीक्षक को इस बारे में सूचित किया गया।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि मध्य प्रदेश पुलिस मास्टरमाइंड को पकड़ने में सबसे प्रभावी रही और उसके पास से सभी 33 नए मोबाइल फोन के अलावा कुछ अन्य फोन भी बरामद हुए। झारखंड पुलिस ने एफ2पी कॉलर को गिरफ्तार किया। एफ2पी गिरोह ने यह फोन करीब 10000 रुपये प्रतिफोन के हिसाब से खरीदे थे और उन्हें पांच से 10 प्रतिशत की छूट के साथ कालाबाजार में बेच देते थे।

एफ2पी गिरोह में सैकड़ों सदस्य होते हैं जो एक लेनदेन के विभिन्न चरणों का संचालन करते हैं जिनमें ओटीपी फ्रॉड, क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, ई-कॉमर्स फ्रॉड, फर्जी आईडी, फर्जी मोबाइल नंबर, फर्जी पता, काला बाजारी, कर चोरी, धन शोधन और चोरी के सामान की खरीद फरोख्त शामिल है। आरोपियों से इस बाबत भी पूछताछ की जा रही है कि वे चीन निर्मित फोनों को ही क्यों तरजीह देते थे, विशेष रूप से श्योमी द्वारा बनाए गए फोन को। ‘साइबरसेफ’ एफसीओआरडी द्वारा निर्मित एक ऐप्लीकेशन है जिसका संचालन अगस्त 2019 से किया जा रहा है।

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