अशाेक यादव, लखनऊ। हाल ही में 26 जनवरी को कृषि कानूनों के खिलाफ आयोजित ट्रैक्टर रैली ने हिंसा का रूप ले लिया था। जिसके बाद माहौल को देखते हुए दिल्ली बॉर्डर पर हो रहे किसान आंदोलन के आसपास के क्षेत्रों का इंटरनेट बैन कर दिया गया था।
इसके खिलाफ किसानों ने कई मंचों से आपत्ति जताई है। किसान आंदोलन स्थलों पर इंटरनेट बैन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली गई है जिसमें दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन स्थलों पर से इंटरनेट निलंबन को हटाने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि इंटरनेट बंद करना नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। याचिका में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली के दौरान आईटीओ के पास हुई एक प्रदर्शनकारी की मौत की न्यायिक जांच की भी मांग की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि प्रदर्शनकारी की मौत पुलिस के द्वारा चलाई गई गोली लगने से हुई है। बता दें कि ये याचिका वकील संप्रीत सिंह अजमानी और पुष्पिंदर सिंह ने दाखिल की है।
साथ ही इस याचिका में कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मौलिक अधिकार के हिस्से के रूप में इंटरनेट तक पहुंच के फैसले का सरकार द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है। इंटरनेट बंद करके सरकार ने किसानों और असली पत्रकारों को राष्ट्र के सामने सच्ची तस्वीर लाने से रोका है। इंटरनेट वैश्विक प्लेटफार्मों पर नागरिकों द्वारा अपनी राय व्यक्त करने में सहायक है और ये मौलिक अधिकार है।