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सुप्रीम कोर्ट ने असम के हिरासत केंद्रों और वहां रखे गए विदेशियों की राज्य सरकार से मांगी जानकारी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने असम में चल रहे हिरासत केंद्रों और पिछले 10 साल के दौरान वहां हिरासत में लिए गए विदेशी नागरिकों की संख्या समेत विभिन्न ब्यौरे उपलब्ध कराने के सोमवार को निर्देश दिए हैं. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने याचिकाकर्ता हर्ष मंदर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. यह याचिका असम के हिरासत केंद्रों और वहां लंबे समय से हिरासत में रखे गए विदेशी नागरिकों की स्थिति को लेकर दायर की गई है.शीर्ष अदालत ने केंद्र से हिरासत केंद्रों, वहां बंद बंदियों की अवधि और विदेशी नागरिक अधिकरण के समक्ष दायर उनके मामलों की स्थिति को लेकर विभिन्न विवरण मांगे हैं. पीठ ने कहा, “हम यह जानना चाहते हैं कि वहां कितने हिरासत केंद्र हैं. हम यह भी जानना चाहते हैं कि वहां कितने लोग बंद हैं और कब से.”  

पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से भी इस संबंध में ब्यौरे उपलब्ध कराने को कहा है कि अब तक कितने लोगों को विदेशी करार दिया गया है और उनमें से कितनों को अब तक वापस उनके देश भेज दिया गया है. पीठ ने पिछले 10 साल के दौरान भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले विदेशियों का वर्ष वार ब्यौरा भी मांगा है. अधिकारियों को सभी विवरण उपलब्ध कराने के लिए तीन हफ्ते का समय देकर पीठ ने मामले में अगली सुनवाई 19 फरवरी को तय की है. याचिकाकर्ता के लिए प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्रों पर कुछ विदेशियों को सजा काटने के बाद भी हिरासत में रखा गया है. वहीं सॉलिसिटर जनलर तुषार मेहता ने सरकार की ओर से बताया  कि 986 को विदेशी घोषित किया गया. जिसके जवाब में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अगर कैदियों को विदेशी देश द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता तो उन्हें हिरासत केंद्रों में नहीं रखा जा सकता. चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि ऐसे मामले में संसद में एक बिल लंबित है और फिलहाल हम  उस पर टिप्पणी नहीं कर सकते क्योंकि संसद सत्र में है.

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