लखनऊ : पुलिस हिरासत में भेजे गए आम्रपाली के सीएमडी और 2 डायरेक्टर्स की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अर्जी दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने डायरेक्टर्स की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि दस्तावेज मिलने के बाद ही रिहाई होगी. कोर्ट ने तीनों डायरेक्टर्स को लॉक अप में न रखने को कहा है.कोर्ट ने पुलिस से कहा कि थाने में उचित जगह पर रखा जाए. इससे पहले आम्रपाली डायरेक्टर्स ने बुधवार सुबह सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिन दस्तावेजों की तलाश है, वो नोएडा, ग्रेटर नोएडा के 7 और बिहार के 2 दफ्तरों में हैं. कोर्ट ने सभी 9 दफ्तरों को सील करने का आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के तीन डायरेक्टर्स को गुरुवार को भी कोर्ट में पेश होने कहा है. दरअसल, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने फोरेंसिक ऑडिट के लिए दस्तावेजों को न देने पर आम्रपाली के तीन डायरेक्टर अनिल कुमार शर्मा, शोव प्रिया और अजय कुमार को पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक यह तीन डायरेक्टर आम्रपाली से जुड़े अकाउंट्स और तमाम दस्तावेजों को नहीं सौंपते तब तक ये तीनों डायरेक्टर पुलिस हिरासत में रहेंगे.कोर्ट ने कहा था कि हमें अब उम्मीद है कि डायरेक्टर सहयोग करेंगे.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के साथ आंख मिचौनी का आम्रपाली खेल खेल रही है.आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली की 46 कंपनियों के ऑडिट फॉरेंसिक ऑडिट करने के आदेश दिए थे इसके अलावा कोर्ट आम्रपाली से जुड़े तमाम दस्तावेज सौंपने को कहा था. लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद भी दस्तावेज नहीं सौंपने जाने पर नाराज सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली को एक फिर फटकार लगाते हुए यह आदेश जारी किया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली पर नाराजगी जताई थी कि 2015 के बाद अब तक आम्रपाली की 46 कम्पनियों के सभी खातों की डिटेल कोर्ट को क्यों नहीं सौंपी गई.10 दिन के सभी एकाउंट की बैलेंस शीट सौंपने का निर्देश दिया था.कोर्ट ने फोरसिक ऑडिटर को निर्देश था दिया कि वो 60 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपे कि कितनी रकम का कैसे गबन हुआ है.दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ग्रुप की 16 संपत्ति नीलाम होगी जबकि सभी 46 कंपनियों और उनके सभी निदेशकों की सम्पति का फोरेंसिक ऑडिट होगा.इसके साथ ही कोर्ट ने आम्रपाली के सीएमडी अनिल शर्मा को चार दिनों में अपनी सम्पत्तियों का ब्यौरा हलफनामे में देने का आदेश दिया था.कोर्ट ने अनिल शर्मा से ये भी पूछा था 2014 में चुनावआयोग में दाखिल किए गए हलफनामे में 867 करोड़ की बताई गई सम्पत्ति 2018 में 67 करोड़ कैसे हो गई? कोर्ट से जानकारी क्यों छिपाई?’.