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सीलिंग मामले में मनोज तिवारी को मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बीजेपी चाहे तो कर सकती है कार्रवाई

सीलिंग तोड़ने के मामले में भाजपा सांसद मनोज तिवारी को बड़ी राहत मिली है। उच्चतम न्यायालय ने भाजपा सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई खत्म कर दी। कोर्ट का कहना है कि उन्हें तिवारी द्वारा अदालत का किसी तरह की अवमानना किए जाने का मामला नहीं दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भाजपा चाहे तो इस मामले में कार्रवाई कर सकती है। इसके साथ ही, कोर्ट ने परिसरों पर लगी नगर निकाय की सील उनके द्वारा तोड़े जाने की निंदा की। उन्होंने कहा कि कानून हाथ में लेने के मनोज तिवारी के बर्ताव से वह बहुत आहत हैं। एक चुने हुए प्रतिनिधि के तौर पर उन्हें जिम्मेदारी से काम करना चाहिए था, न कि कानून को अपने हाथ में लेकर।
कोर्ट ने रख लिया था फैसला सुरक्षित
कोर्ट ने इस मामले में दलीलें सुनने के बाद 30 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ को यह तय करना था कि तिवारी कोर्ट की अवमानना के दोषी हैं या नहीं। पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने तिवारी से कहा था कि आप जनप्रतिनिधि है, जिम्मेदार नागरिक हैं। आखिर आपको सील तोड़ने की इजाजत किसने दी? अगर सीलिंग गलत की गई थी तो आपको संबंधित अथॉरिटी के पास जाना चाहिए था।
क्या ​है मामला
बता दें कि मनोज तिवारी पर एक इमारत में की गई सीलिंग तोड़ने का आरोप है। राजधानी में अवैध निर्माण को सील करने की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही थी। भाजपा नेता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा था कि उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला नहीं बनता था, क्योंकि उन्होंने कोर्ट की अवमानना नहीं की है और इस मामले से मॉनिटरिंग कमेटी के निर्देश का कोई लेना-देना नहीं था, इसलिए वो माफी नहीं मांगेंगे।

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