कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली होती है जो इस बार 7 नवंबर 2018 को है। दिवाली Diwali 2018 विश्वभर में धूम-धाम से मनाई जाएगी जिसमें माता लक्ष्मी की पूजा होती है। कार्तिक मास में रमा एकादशी, धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज पर्व मनाए जाते हैं। पर दिवाली पर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। दीपावली पर खासतौर पर माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है जिससे प्रसन्न होकर मां धन वर्षा करती हैं। इसलिए हम आपको दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, विधि, सामग्री और मंत्र बताने वाले हैं।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त
दीपावली 2018 : 7 नवंबर
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त : शाम 5.57 बजे से 7.53 बजे तक
अवधि : 1 घंटा 55 मिनट
प्रदोष काल : शाम 5.27 बजे से शाम 8.06 बजे
वृषभ काल : शाम 5.57 बजे से शाम 7.53 बजे
अमावस्या तिथि आरंभ : रात 10.27 बजे से (6 नवंबर)
अमावस्या तिथि समाप्त : शाम 9.31 (7 नवंबर)
माता लक्ष्मीजी के पूजन की सामग्री
लाल,गुलाबी,पीले रंग का रेशमी वस्त्र
सिंदूर
कमल, गुलाब
नारियल,
सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े
केवड़ा
कलश
चांदी, सोने, तांबे के बर्तन
आम के पत्ते
जायफल
सुपारी
गुलाब,चंदन के इत्र
चावल
मिठाई
हलवा
शिरा का नैवेद्य
घी
मूंगफली तेल
गन्ना
कमल गट्टा
हल्दी
बिल्वपत्र
पंचामृत
गंगाजल
दिवाली लक्ष्मी मंत्र
‘ॐ ऐं श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा’
दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि
सुबह स्नानादि से निवृत्त हो स्वच्छ वस्त्र धारण करें, चाहें तो उपवास भी कर सकते हैं। घर में पकवान बनाएं और घर सुसज्जित करें। घर में महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें या चित्र लगाएं। साथ में सरस्वती और गणेश भगवान को अवश्य रखें। चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की मूर्तियां रखें। दोनों मूर्तियों का मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में अधूरा लपेटें और इसे कलश पर रख दें। लक्ष्मी मूर्ति के समीप दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक गणेशजी के पास रखें। अब वहीं लक्ष्मी की मूर्ती के सामने एक और छोटी चौकी लगाएं। उस पर लाल वस्त्र बिछाकर मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। इन ढेरियों पर सुपारी रखें। चारों कोनों पर चावल की ढेरी रखें। सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें। जल भरकर कलश रखें जिसे पूजा के बाद आपको चढ़ाना है। दीपक, खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान, फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, केसर-कपूर, हल्दी, धूप, अगरबत्ती से लक्ष्मी की पूजा आरंभ करें। पूजा के बाद एक-एक दीपक घर के कोनों में जलाकर रखें। पूजा में मूर्ति शुद्धिकरण करने के बाद पूजा करें। देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें इसके बाद पूजा समापन करें।
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