तिरुवनंतपुरम: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित प्रशंसा में दिये गये बयान से उठे विवाद के बाद बुधवार को कहा कि उन्होंने कभी मोदी को सही नहीं ठहराया, बल्कि वह भाजपा सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं. पीएम मोदी की कथित प्रशंसा पर केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण पर ईमेल से दिये जवाब में पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर ने कहा, ‘‘मैं मोदी सरकार का मुखर आलोचक रहा हूं और उम्मीद करता हूं कि मैं सकारात्मक आलोचक रहा हूं.” मालूम हो थरूर ने बयान दिया था कि प्रधानमंत्री अगर सही काम कर रहे हैं तो उनकी प्रशंसा होनी चाहिए. इसके बाद राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया. रामचंद्रन ने थरूर को भेजे ईमेल में कहा था कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 75वीं जयंती के समारोह में नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस का रुख व्यक्त कर चुकी हैं.
केरल कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मोदी सरकार सभी मोर्चों पर असफल है. यहां तक कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने भी कहा है कि देश आजादी के बाद से सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है.” रामचंद्रन ने कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) ने कहा है कि देश में पिछले 45 साल में बेरोजगारी सबसे चरम पर है. जब देश इस तरह के संकट से गुजर रहा हो, ऐसे में प्रधानमंत्री को न्यायोचित ठहराना दुर्भाग्यपूर्ण है. थरूर इस समय विदेश में हैं. उन्होंने अपने जवाब में कहा कि उन्होंने कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यायोचित नहीं ठहराया और केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी संसद में हाल ही में दिये उनके भाषणों का अध्ययन कर ले. थरूर ने कहा कि रामचंद्रन राज्य से किसी एक भी नेता का नाम बताएं जिसने संसद में पेश किये गये प्रत्येक विधेयक पर अध्ययन, अनुसंधान करने और मोदी सरकार के विरोध में उनके प्रयासों का कम से कम दस प्रतिशत भी किया हो.
उन्होंने कहा कि वह संसद में 50 से ज्यादा बार हस्तक्षेप कर चुके हैं और 17 विधेयकों के विरुद्ध साहस और दृढ़ता से अपनी बात रख चुके हैं. कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘क्या केरल में मेरा कोई भी आलोचक कह सकता है कि उन्होंने ऐसा किया है?” उन्होंने कहा, ‘‘मैंने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सबसे समग्र और सफल आलोचना के लिए लेखक के तौर पर अपनी कलम और प्रामाणिकता की शक्ति का इस्तेमाल किया.” अपने बयान पर उठे विवाद के संदर्भ में थरूर ने कहा कि यह एक ट्वीट पर बिना सिर-पैर की रिपोर्टिंग पर आई अतिवादी प्रतिक्रियाओं पर आधारित विवाद है. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जयराम रमेश और अभिषेक सिंघवी के समर्थन करने वाले बयान जारी किये जिनकी पार्टी के प्रभावशाली नेताओं और एआईसीसी के आधिकारिक प्रवक्ताओं के तौर पर पहचान से आप और मैं, दोनों वाकिफ हैं.”
थरूर ने कहा कि वह पिछले छह साल से दलील दे रहे हैं कि ‘‘मोदी जब भी कुछ अच्छा बोलते हैं या करते हैं तो उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए, इससे उनकी गलती पर हमारी आलोचनाओं की भी साख बढ़ेगी.” उन्होंने कहा, ‘‘मोदी ने प्रशंसा लायक बहुत कम काम किया है. लेकिन वह भारत में अपने वोट प्रतिशत को 2014 के 31 प्रतिशत से 2019 में 37 फीसदी तक बढ़ाने में प्रभावी रहे हैं और ऐसे में दोनों ही चुनावों में करीब 19 प्रतिशत पर सिमटी रही कांग्रेस में हम लोगों को समझना चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ.” थरूर ने कहा, ‘‘साफ तौर पर बड़ी संख्या में मतदाताओं ने सोचा कि वह उनके लिए काम कर रहे हैं. हमें यह मानना होगा, लेकिन उसकी सीमाओं को रेखांकित भी करना होगा. हां, उन्होंने शौचालय बनवाए, लेकिन 60 प्रतिशत में पानी नहीं आ रहा. हां, उन्होंने गरीब ग्रामीण महिलाओं को गैस सिलेंडर दिये, लेकिन 92 प्रतिशत महिलाएं दूसरे सिलेंडर का खर्च नहीं उठा सकतीं.”
उन्होंने अपने जवाब में साफ किया कि अगर हम ऐसे प्रस्तुत करेंगे कि मोदी ने कुछ नहीं किया, बल्कि गलत ही रहे और लोगों ने फिर भी उनके लिए वोट दिया तो हम कह रहे हैं कि जनता मूर्ख है, इस रुख पर आप वोट हासिल नहीं कर सकते. थरूर ने पार्टी नेतृत्व से कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने के लिए जरूरी कदम उठाने का अनुरोध करते हुए कहा कि इसके लिए पार्टी को उन विषयों पर ध्यान देना होगा जिनसे मतदाताओं का रुझान मोदी की ओर बढ़ा. थरूर ने इस ‘बिना बात के विवाद’ में भी उनके साथ खड़े रहने के लिए केरल और देशभर के सामान्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं का भी शुक्रिया अदा किया.