नई दिल्ली : होली से ठीक पहले बुधवार (28 फरवरी) को लोकसभा के कुछ सांसदों को एक मेसेज ने सुखद आश्चर्य से भर दिया। दरअसल उनके खातों में एक की जगह दो महीनों का वेतन आ गया था। जब यह बात लोकसभा सचिवालय तक पहुंची तो बताया गया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की गलती से एक्स्ट्रा रकम डाल दी गई। अगले ही दिन, गुरुवार को बढ़ी हुई रकम खाते से वापस ले ली गई। बुधवार को ही सांसदों का वेतन बढ़ाने को केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से मंजूरी मिली थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में कैबिनेट ने भत्ता नियमों में संशोधन को 1 अप्रैल से लागू करने को हरी झंडी दे दी। इससे राज्य की संचित निधि पर आवर्ती और गैर आवर्ती व्यय खर्च का अतिरिक्त बोझ क्रमश: 39 करोड़ रुपये और 6.64 करोड़ रुपये बढ़ेगा।संसदीय मामलों के मंत्री द्वारा जारी बयान के अनुसार, अब सांसदों को प्रति माह 45 हजार रुपये की बजाय 70 हजार रुपये निर्वाचन भत्ता मिलेगा। इसके अलावा कार्यालय भत्ता की राशि भी 45 हजार से बढ़ाकर 60 हजार रुपये प्रति माह कर दी गई है। एकमुश्त मिलने वाले फर्नीचर भत्ते को भी 75 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये किये जाने को मंजूरी दी गई है।
सांसदों के लिए एक और अच्छी खबर यह है कि सभी भत्ते लागत वृद्धि के आधार पर हर पांच साल बाद अपने-आप बढ़ जाएंगे। इस बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में ऐलान किया था कि सांसदों के वेतन की हर पांच साल में समीक्षा करने के लिए एक स्थायी सिस्टम बनाया जाएगा।
कैबिनेट द्वारा लिया गया यह फैसला अब संसद की संयुक्त समिति के पास जाएगा, जो वर्तमान नियमों में बदलाव करेगी। फिर इस प्रावधान को काउंसिल ऑफ स्टेट्स के चेयरमैन और सदन के स्पीकर अपनी मंजूरी देंगे। तब जाकर कहीं इस संबंध में भारत सरकार आधिकारिक गजब में इस फैसले को अधिसूचित करेगी।