नई दिल्ली। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन के 12 विपक्षी सदस्यों का निलंबन रद्द करने की मांग दोहराते हुए बुधवार को कहा कि सरकार सदन नहीं चलने देना चाहती ताकि विपक्ष महंगाई, नगालैंड में गोलीबारी, पेगासस और दूसरे महत्वपूर्ण मुद्दे नहीं उठा सके।
खड़गे ने यह भी बताया कि कई विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने आज उच्च सदन की कार्यवाही का दिन भर के लिए बहिष्कार किया और निलंबित सांसदों के साथ धरने पर बैठे। उन्होंने संसद भवन के बाहर विजय चौक पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘सदस्यों के निलंबन को रद्द करने के लिए हम सदन में अपनी बात रख रहे हैं और सभापति से आग्रह भी किया है। यह निलंबन नियमों और संविधान के खिलाफ है। फिर भी वो (सरकार) अपने निर्णय पर अड़े हुए हैं। वो नहीं चाहते हैं कि सदन ऐसे चले।’’
खड़गे के मुताबिक, कांग्रेस और दूसरे सहयोगी दल चाहते है कि निलंबन रद्द हो ताकि वो सदन में महंगाई, पेगासस जासूसी मामला, नगालैंड में गोलीबारी, सीमा पर चीन के अतिक्रमण तथा कई अन्य मुद्दे उठा सकें। उन्होंने कहा, ‘‘आज फिर हमने वही मुद्दा उठाया और कहा कि निलंबन रद्द किया जाए। वो कह रहे हैं कि माफी मांगनी चाहिए। किस चीज की माफी? हमने नियमों और संविधान के खिलाफ कोई काम किया? नहीं किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इन 12 सदस्यों में कौन सदस्य मेज पर चढ़ा था, फाइल फाड़ी थी? बिना नामित किए हुए सदस्यों को निलंबित किया गया है।’’ खड़गे ने जोर देकर कहा, ‘‘ हम सदन चलाने के लिए तैयार हैं। हम सभी मुद्दों को उठाना चाहते हैं, लेकिन सरकार मौका नहीं दे रही है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और अधिनायकवादी ढंग से काम कर रही है। पिछले सप्ताह सोमवार, 29 नवंबर को आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था।
जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।