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सरकार ने दी अनुमति: परास्नातक आयुर्वेद चिकित्सक कर सकेंगे ऑपरेशन

अशाेक यादव, लखनऊ। केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके आयुर्वेद के परास्नातक चिकित्सकों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण देने की अनुमति दे दी है। इसके बाद ये चिकित्सक सामान्य तरह के ट्यूमर और गैंग्रीन का विच्छेदन करने समेत नाक और मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर सकेंगे।

गैंग्रीन एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के ऊतक नष्ट होने लगते हैं। यह मुख्य रूप से चोट, संक्रमण या किसी अन्य समस्या के कारण शरीर के किसी भाग में खून नहीं जा पाने के कारण होता है।

आयुष मंत्रालय के तहत आने वाली वैधानिक संस्था भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद की ओर से जारी अधिसूचना में 39 सामान्य ऑपरेशन प्रक्रियाओं और करीब 19 प्रक्रियाओं की सूची हैं जिनमें आंख, कान, नाक, गला आदि हैं। इसके लिए भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (परास्नातक आयुर्वेद शिक्षा), नियमन 2016 में संशोधन किया गया है।

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने स्पष्ट किया परास्नातक करने वाले सभी चिकित्सकों को ऑपरेशन करने की इजाजत नहीं है, बल्कि जिन्होंने शल्य और शल्क्य में परास्नातक किया है, सिर्फ वे ही ये ऑपरेशन कर सकेंगे। सीसीआईएम के संचालक मंडल के प्रमुख वैद्य जयंत देवपुजारी ने स्पष्ट किया कि आयुर्वेदिक संस्थानों में 20 साल से ऑपरेशन होते आए हैं और अधिसूचना उन्हें कानूनी जामा पहनाती है।

अधिसूचना के मुताबिक, पढ़ाई के दौरान शल्या और शल्क्य में पीजी कर रहे छात्रों को ऑपरेशन करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। कोटेचा ने कहा कि सीसीआईएम की अधिसूचना नीति में किसी तरह का बदलाव का सूचक नहीं है या कोई नया फैसला नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिसूचना आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए ऑपरेशन के सभी क्षेत्रों को नहीं खोलती है, बल्कि उन्हें कुछ विशिष्ट चीजों का ऑपरेशन करने की अनुमति देती है।

आयुर्वेद के परास्नातक चिकित्सकों को ऑपरेशन करने का अधिकार देने के फैसले को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने प्रतिगामी कदम करार दिया है। आईएमए ने आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए सीसीआईएम से अनुरोध किया कि आयुर्वेद चिकित्सकों को प्राचीन पुस्तकों के जरिये खुद से अपनी सर्जिकल शाखा विकसित करने दिया जाए।

आयुर्वेद चिकित्सकों को आधुनिक मेडिसिन की सर्जिकल विधियों को अपना नहीं बताना चाहिए। यह भी मांग की गई कि आयुर्वेद कॉलेजों में मॉडर्न मेडिसिन के किसी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की जाए। आईएमए ने सवाल किया कि नीट जैसी परीक्षा का क्या मतलब रह गया है, जब इस तरह के वैकल्पिक रास्ते तैयार कर दिए गए हैं।

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